एक नजर
PATNA : बात चार दिन पुरानी है। 70 फीसदी आबादी के कल्याण वाले विभाग का जिम्मा संभालने वाले मंत्रीजी ने बैठक बुलाई थी। बैठक सचिवालय मे रखी गई थी। उक्त मीटिंग में हरियाली लाने वाले बड़े डीलरों को बुलाया गया था। बैठक में मंत्रीजी के अलावे विभाग के दूसरे सबसे बड़े हाकिम मौजूद थे। बैठक साढ़े पांच बजे शुरू हुई, लेकिन आधे घंटे बाद जैसे ही घड़ी की सूई 6 पर गई की हाकिम बैठक छोड़कर निकल गए। अधिकारी के मीटिंग छोड़कर निकलते देख पूरे हॉल मे सन्नाटा पसर गया। मंत्रीजी भी टूकूर-टूकूर देखते रह गए। क्षण भर के लिए मंत्रीजी को समझ में नही आया की वे क्या करें। सामने विभाग के छोटे अधिकारी मौजूद थे। कनीय अधिकारियों के बीच मंत्रीजी को अपनी इज्जत भी बचानी थी। सो तुरंत संभलते हुए माहौल को हल्का करने की कोशिश की और बिना वरीय अधिकारी के ही मीटिंग को जारी रखा।
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मंत्री महोदय की बैठक से अधिकारी के बाहर निकलने के पीछे दो वजहें बताई जा रही है। मंत्रीजी जो बैठक कर रहे थे पहली बार कोई मंत्री उसकी बैठक ले रहा था। अबतक मंत्री स्तर पर इस तरह की बैठक नही होती थी। वही मंत्रीजी ने शाम का समय चुना था। इसलिए भी अधिकारी थोड़े चिढे थे। जैसे ही शाम के छह बजे, अधिकारी मंत्रीजी को यह कहकर निकल लिए अब समय खत्म हो गया।
विभाग में नंबर दो के हाकिम के लिए विभाग नया है। एक महीना पहले हीं उन्होने योगदान दिया है। जानकार सूत्रों की मानें तो वजीर को नियंत्रण मे लाने के लिए राजा ने ही एक कड़क अधिकारी को इस विभाग मे भेजा है। इनके पहले वाले अधिकारी से विभाग की बहुत बदनामी हुई थी। उस अधिकारी से राजा बहुत चिढे थे। इसीलिए थोड़े दिनों के लिए उक्त अधिकारी को वहां से हटाकर वेटिंग फॉर पोस्टिंग भी रखा था।
हालांकि मंत्रीजी ने स्वीकार किया की अधिकारी बैठक से निकल लिए थे, लेकिन वो उनसे पूछ कर गए थे। उन्हें दूसरा काम आ गया था। इसलिए मीटिंग छोड़कर बाहर निकल गए थे ..... (साभार #News4Nation)
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