Friday, October 5, 2018

दिल्ली के रेस्त्रां में काम करने वालों ने मिलकर चिट्ठी भेजी है

                            एक 👁️ नजर





सेवा में, 

श्रीमान NDTV प्रमुख महोदय,

सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में काम करता हूं, और मेरे साथ मेरे बहुत सारे मित्र भी कार्यरत हैं।

महोदय, दिल्ली के रेस्टोरेंट में काम करने वाले वर्करों का बहुत ही बुरा हाल है। हमें महीने की दो ही छुट्टी मिलती है, ड्यूटी 10 से 12 घंटे की होती है। स्टाफ खाना सड़ी हुई सब्ज़ियों का मिलता है। 15 अगस्त, 26 जनवरी, होली, दिवाली, रक्षा बन्धन सारे त्योहार हमने आज तक अपने परिवार के साथ नहीं मनाए हैं।

सैलरी हमें 8 हज़ार से 9 हज़ार मिलती है और आजकल हमारे रेस्टोरेन्ट मालिक कह रहे हैं कि अपना आई डी प्रूफ दो फिर हमारे आई डी प्रूफ को स्कैन करके गूगल पर पता नहीं कौन सा फार्म भर रहे हैं। हमें कह रहे हैं कि तुम्हारे मोबाइल में जो ओ टी पी आया है, बताओ। 

महोदय, दिल्ली में जितने भी रेस्टोरेन्ट है, अधिकतर दो नंबर में चल रहे हैं। क्योंकि एम सी डी वाले हर महीने का पैसा लेते हैं। फूड सैंपल वाले सैंपल पास कराने का 20,000 ले जाते हैं। लेबर इंस्पेक्टर 3000 रुपये महीना ले जाता है। रेस्टोरेन्ट मालिक से ज़्यादतर रेस्टोरेन्ट के पास लाइसेंस नहीं है। और तो और रेस्टोरेन्ट में जो खाना बनाते हैं उनके लिए हाथ धोने के लिए साबुन भी नहीं होता है।

रेस्टोरेन्ट बाहर से जितना सुन्दर होता है, अन्दर उतना ही गंदगी होती है। दिल्ली में बहुत बुरा हाल है। PF, ESI कागज़ों में कटता है पर स्टाफ को नहीं मिलता है। कई रेस्टोरेन्ट हैं जो पैसा तो बहुत कमाते हैं स्टाफ को हाथ धोने के लिए साबुन तक नहीं देते हैं। किचन स्टाफ कई बार गन्दे हाथों से ही खाना बनाने को मजबूर हैं। सरजी हमारी उम्मीद है, NDTV हमारी आवाज़ बनेगा। बाकी न्यूज़ चैनल तो बिकाऊ हैं, पैसे लेकर न्यूज़ दिखाते हैं।
आपका...

(मुझे रोज़ कई पत्र आते हैं। हर चिट्ठी एक नई दुनिया लेकर आ जाती है।  कई बार यहां पोस्ट कर देता हूं शब्दश टाइप कर। सारी स्टोरी कहां कर सकता हूं। पता नहीं कब सब ठीक होगा। शायद कभी नहीं। आपके लिए इसलिए लिखा कि बस जान जाएं। अन्तर्देशीय पत्र कार्ड से चिट्ठी आई है। )

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