बिहार के सहरसा में मनचलों की छेड़खानी से तंग आकर एकपरहा गांव की बेटियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है. इन पढ़ने वाली लड़कियों के भाई ने जब छेड़खानी कर रहे मनचलों का विरोध किया तो आक्रोशित मनचलों ने लड़कियों के भाइयों पर हमला कर दिया, जिसमें एक की हाथ टूट गई.
इस मामले में जिले के सिमरी बख्तियारपुर थाना में इन मनचलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.छेड़खानी की घटना पिछले एक साल से हो रही थी, लेकिन ये सोचकर लड़कियां चुप हो जाया करती थीं कि शायद घर में बोलने पर माता पिता उनकी पढ़ाई न छुड़वा दें. जब मनचलों ने अपनी आदतें नहीं छोड़ींं, और रास्ते मे सुनसान जगहों पर गंदी फब्तियाँ और छेड़खानी शुरू कर दी तो इन लड़कियों ने परिजनों को अपने साथ हो रहे इस दुर्व्यवहार से अवगत कराया.इसके बाद उन लड़कियों के भाइयों ने जब मनचलों का विरोध किया तो बेखौफ मवालियों ने उन पर हमला किया गया और बुरी तरह पीटा
इस हमले में एक पीड़ित लड़की के भाई का हाथ भी टूट गया. इस घटना के बाद गांव की सभी लड़कियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है.अब गाँव के लोग और परिजन उन मनचलों पर कार्रवाई को लेकर आक्रोशित हैं. वे कहते हैं कि छेड़खानी की घटना कोई नई नहीं है.
ऐसा एक - दो साल से होता आ रहा है और स्कूल जाने का रास्ता भी एक ही है जहाँ मचान पर बैठकर मनचले छेड़खानी करते थे.सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मृदुला कुमारी भी मानती हैं कि लड़कियां लंबे अरसे से उत्पीड़न की शिकार हो रही थीं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि एफआईआर दर्ज हो गई है और अब आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.मनचलों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है. मृदुला ने बताया कि स्कूल जाने वाले रास्ते पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है.उन लड़कियों की बोर्ड परीक्षा में अब तीन-चार महीने ही बचे हुए हैं, ऐसे में उन्हें स्कूल तक पहुंचाना फौरी चुनौती है.
चार दिनों पहले ही सुपौल में कस्तूरबा आवासीय स्कूल की लड़कियों पर हमला किया गया था, क्योंकि उन्होंने छेड़खानी का विरोध किया था. इस हमले में 34 लड़कियां घायल हो गई थी.