Sunday, October 21, 2018

सीबीआई में दूसरे नम्बर के अधिकारी राकेश अस्थाना पर बभ्र्ष्टाचार का मुकदमा दर्ज



नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रिश्वत घोटाले में अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर किया है. इस सप्ताह की शुरुआत में ही अस्थाना के नाम को एफआईआर में शामिल किया गया था.
राकेश अस्थाना सीबआई में दूसरे नंबर के अधिकारी हैं. एफआईआर में खुफिया संगठन रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल के नाम को भी शामिल किया है. हालांकि इनका नाम आरोपी के रूप में नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में सीबीआई ने मंगलवार को एफआईआर दायर किया था. इसमें मोईन कुरैशी भ्रष्टाचार मामले में एक बिजनेसमैन से रिश्वत मांगने और लेने के आरोप में राकेश अस्थाना का नाम आरोपी नंबर एक के रूप में शामिल किया गया है.
मोईन कुरैशी भ्रष्टाचार मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रही थी और अस्थाना इस टीम के अध्यक्ष थे.
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सीबीआई ने टेलीफोन इंटरसेप्ट्स, व्हाट्सएप मैसेजेस, पैसे की हेरा-फेरी (मनी ट्रेल) और एक बयान मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत दर्ज कराया है.
अस्थाना को इस मामले में प्रतिक्रिया देने के लिए संपर्क किया गया था लेकिन उनकी तरफ से कोई बयान नहीं आया है.
इससे पहले सीबीआई ने बीते 21 सितंबर को कहा था कि उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को इस बात की जानकारी दी थी कि वे राकेश अस्थाना के खिलाफ छह भ्रष्टाचार मामलों में जांच कर रहे हैं.
सीबीआई ने ये भी कहा था कि अस्थाना निदेशक आलोक वर्मा की छवि भी धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं और वर्मा के खिलाफ सीवीसी में शिकायत कर के उनके खिलाफ जांच में शामिल अधिकारियों को डराने की कोशिश कर रहे हैं.
राकेश अस्थाना ने अलोक वर्मा के खिलाफ शिकायत करते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था कि वर्मा उनके द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप कर रहे हैं और उन्हें अपमानित किया जा रहा है.
हैदराबाद के कारोबारी साना सतीश की शिकायत पर दुबई स्थित बिचौलिया मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ कदम उठाया है. कुरैशी भ्रष्टाचार के मामले में प्रसाद की भूमिका को लेकर अस्थाना की निगरानी में सीबीआई एसआईटी द्वारा जांच की जा रही थी.
कुरैशी पर फरवरी 2014 में आयकर विभाग द्वारा छापा मारा गया था. उस समय तत्कालीन सीबीआई निदेशक एपी सिंह के साथ उसके ब्लैकबेरी मैसेंजर (बीबीएम) संदेशों को बरामद किया गया था.
इसके बाद सिंह को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सदस्य के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके तीन साल बाद फरवरी 2017 में सीबीआई द्वारा केस दर्ज किया गया. यह राकेश अस्थाना की अध्यक्षता में एसआईटी द्वारा जांच किए जाने वाले कई महत्वपूर्ण मामलों में से एक था.
सतीश ने 4 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष एक बयान दिया था, जिसमें अस्थाना, बिचौलिया प्रसाद और प्रसाद के रिश्तेदार सोमेश श्रीवास्तव का नाम था. उसने बताया कि किस तरह सीबीआई मामले से दूर रहने के लिए उसने दिसंबर 2017 से लेकर 10 महीने तक में तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
सतीश ने कहा कि ज्यादा पैसे देने के लिए उसे सीबीआई अधिकारियों द्वारा प्रताणित भी किया गया था.
मनोज प्रसाद के निर्देश पर, पूछताछ के लिए एसआईटी के सामने उपस्थित होने से बचने के लिए 9 अक्टूबर को 25 लाख रुपये का कथित रूप से भुगतान किया गया था.
राहत मिलने के बाद, प्रसाद सुबह 16 अक्टूबर को 1.75 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए दुबई से दिल्ली गया, जहां उसे सीबीआई टीम ने गिरफ्तार कर लिया.
एफआईआर में कहा गया है कि रॉ के दूसरे नंबर के अधिकारी सामंत कुमार गोयल मनोज और सोमेश दोनों को अच्छी तरह जानते हैं और इन दोनों के लगातार संपर्क में रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि गोयल का नाम आरोपी के तौर पर शामिल नहीं किया गया है लेकिन इनकी भूमिका जांच के घेरे में हैं.
इस मामले के अलावा सीबीआई के नवनियुक्त स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर 4,000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिग मामले में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच ख़ुद सीबीआई कर रही है.......

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