Tuesday, October 23, 2018

तीन नंबरी नेता आपको इन मुल्कों के नाम पर लड़ने के लिए भेड़-बकरी बनाने में लगे हैं ✍️ The Real Hero Ravish Kumar


येल यूनिवर्सिटी का मद्रास कनेक्शन है। 2017 में News Minute वेबसाइट पर विस्तार से इस पर रिपोर्ट मिलेगी। एलिहू येल ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकारी था और मद्रास में गवर्नर के तौर पर काम कर रहा था। येल ने कंपनी और भारत की जनता से छल कर काफ़ी पैसे कमाए। इसने भारत से ब्रिटेन रवाना होने वाले हर जहाज़ पर दस लोगों को ग़ुलाम बनाकर भेजा। 



येल ने ही सबसे पहले किताबें और टेक्सटाइल दान दिए। उसके बाद किंग जार्ज प्रथम का पोट्रेट दान में दिया जिसकी नीलामी से आठ सौ पाउन्ड मिले। इसी से येल कालेज की इमारत बनी थी और येल यूनिवर्सिटी का नाम पड़ा। येल का दान अगले सौ साल में दिया गया सबसे बड़ा दान था। एक और दानकर्ता का मद्रास से कनेक्शन है। जेरमियाह डम्मर। मद्रास में ईस्ट इंडिगया कंपनी का प्रतिनिधि था।


यहाँ स्कूली बच्चे, स्थानीय लोगों, पर्यटक और छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी दौरा होता है। गाइड ने भी यह सब बताया और इमारतों के बारे में कहा कि ज़्यादातर इमारतें बहुत पुरानी नहीं है मगर ऑक्सफ़ोर्ड की छाप इतनी गहरी है कि हर इमारत को ऐसे बनाया गया जो देखने और महसूस करने में सदियों पुरानी लगें।


 येल 1701 में बनी थी। अमरीका की तीन बड़ी यूनिवर्सिटी में एक है। यहाँ का लॉ स्कूल काफ़ी प्रसिद्ध है। अमरीका के बहुत सारे जज येल लॉ स्कूल के ही हैं जिस इमारत में वेबस्टर ने डिक्शनरी बनाई, गाइड ने उसे भी ख़ासतौर से बताया। यह काफ़ी अमीर यूनिवर्सिटी है। महँगी भी मगर हर तरह के छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ हैं।


भारत के प्रतिभाशाली छात्र इसकी वेबसाइट से जानकारी ले सकते हैं। अलग अलग मुल्कों के विद्यार्थियों के बीच पढ़ने और दोस्त बनाने का अनुभव अलग ही होता होगा। कुछ लोगों को जीकर देखना चाहिए। भाषा से बिल्कुल न डरें। प्रोफेसर और छात्र काफ़ी समावेशी लगे। हमारी कमजोर अंग्रेज़ी को भी उदारता से सुनते रहे। उनका ज़ोर जानने पर रहता है।



अलग अलग मुल्कों पर रिसर्च करने वाले प्रोफ़ेसर मिले। एक ही कमरे में भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी आराम से मिल-जुलकर काम करते हैं और इधर आपके तीन नंबरी नेता आपको इन मुल्कों के नाम पर लड़ने के लिए भेड़-बकरी बनाने में लगे हैं। ऐसी मूर्खताओं से ख़ुद को आज़ाद कीजिए और एक ही जीवन है उसे तरह तरह से समृद्ध कीजिए।




यहाँ कई भारतीय छात्रों से मिला। यूनिवर्सिटी ने उनको कितना बदला है और बेहतर बनाया है यह आप तुरंत महसूस कर लेते हैं। आप किसी भी देश से आकर यहाँ लेक्चरर और प्रोफ़ेसर बन सकते है और संसाधनों का अधिकार से इस्तेमाल कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी के प्रशासन में कई भारतीय अधिकारियों से भी मिला



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