Sunday, November 11, 2018

अमित शाह का सरनेम फ़ारसी मूल का है, भाजपा को सबसे पहले उसे बदलना चाहिए

                       इतिहासकार इरफान हबीब



प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफ़ान हबीब ने कहा कि ‘गुजरात’ शब्द भी फ़ारसी मूल का है. पहले इसे ‘गुजरात्र’ के नाम से जाना जाता था. इसका भी नाम बदला जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: कई राज्यों में भाजपा सरकारों द्वारा शहरों के नाम बदलने के फैसलों के बीच प्रख्यात इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने कहा है कि पार्टी को सबसे पहले अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का सरनेम बदलने के बारे में सोचना चाहिए.

इतिहासकार प्रो. इरफ़ान हबीब ने कहा, ‘भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सरनेम शाह दरअसल गुजराती नहीं बल्कि फ़ारसी मूल का शब्द है, इसलिए पार्टी को सबसे पहले उनका नाम बदलना चाहिए.’

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प्रोफेसर इरफान ने कहा, ‘भाजपा सरकारों की ओर से नाम बदले जाने की यह रणनीति आरएसएस की ही नीतियों के ही समान है. जैसा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में जो कुछ भी ग़ैर इस्लामिक था, उसके नाम बदल दिए गए. इसी तरह भाजपा और दक्षिणपंथी समर्थक उन चीजों को बदलना चाहते हैं, जो ग़ैर हिंदू हैं और ख़ासकर इस्लामी मूल के हों.’

                        BJP अध्यक्ष अमित शाह

रिपोर्ट के अनुसार, प्रो. हबीब ने यह प्रतिक्रिया उत्तर प्रदेश में पांच बार के विधायक जगन प्रसाद गर्ग के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिए एक पत्र को लेकर दी. इस पत्र में में गर्ग ने ताजनगरी आगरा का नाम बदलकर ‘अग्रवन’ करने का अनुरोध किया है. उन्होंने बताया है कि आगरा अग्रवाल समुदाय का घर है , जो महाराज अग्रसेन के अनुयायी हैं.

                     जगन प्र गर्ग BJP विधायक UP

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए गर्ग ने कहा, ‘ये आगरा नाम का कोई मतलब नहीं है. पांच हज़ार वर्ष पहले ये पूरी यमुना के किनारों पर घना जंगल था, जिसे लोग अग्रवन कहते थे. जिसका उल्लेख महाभारत में भी है, लेकिन मुग़लराज में इसका नाम बदलकर अकबराबाद कर दिया गया.’

गर्ग ने बताया कि अग्रवन अग्रवाल समुदाय के लोगों का इलाका है और आगरा में लगभग चार लाख अग्रवाल रहते हैं. उस समय महाराज अग्रसेन ने अग्रवन पर राज किया था और अग्रवाल समुदाय उन्हीं का अनुयायी है.

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प्रोफेसर इरफ़ान ने गर्ग के दावों को लेकर कहा, ‘महाराज अग्रसेन का इतिहास पूरी तरह से पौराणिक कथाओं पर आधारित है. दूसरी बात कि अग्रवाल समुदाय दावा करते हैं कि उनका मूल स्थान हरियाणा के अगरोहा में है, इसलिए विधायक द्वारा आगरा का नाम बदलने के लिए दिया गया दोनों तर्क गलत है.’

प्रोफेसर ने आगे बताया, ‘पहली बार आगरा नाम 15वीं शताब्दी के लोधी साम्राज्य के वक़्त सुना गया था. इस पूरे इलाके को गंगा और युमना के बीच का दोआब कहा जाता था.’


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