देश की प्रतिष्ठित जाँच एजेंसी CBI के अंदर मचे तूफान का कारण
बहस के दौरान नरीमन ने कहा, 'काम छीनने से पहले नियुक्ति कमेटी से मशविरा नहीं किया गया, न ही कोर्ट की इजाज़त ली गई। जिसने विनीत नारायण का फैसला सुनाया था।' नरीमन ने कहा कि वर्मा से निदेशक का काम छीनना ग़ैरक़ानूनी है।
विपक्षी नेता के तौर नियुक्ति कमेटी के सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका पर उनके वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की। सिब्बल ने कहा, 'सीवीसी और सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। आदेश ग़ैरक़ानूनी है।'
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कॉमनकॉज संस्था की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने दलीलें पेश की। दवे ने भी आलोक वर्मा से काम छीनने को ग़लत ठहराया। दवे ने कहा कि कानून में एक प्रक्रिया तय है उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यहां तक कि ट्रांसफ़र के पहले भी कमेटी से मशविरे की बात कही गई है
CBI Officer Alok Verma
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आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने कहा, 'पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने जो पूछा था, उससे उनके मुवक्किल (आलोक वर्मा) का लेनादेना नहीं।' उन्होंने एक पुराने आदेश का हवाला दे कहा कि कुछ भी कोर्ट में दाखिल होते ही सुनवाई पर आने तक प्रेस को उसे पब्लिश करने से रोकने पर विचार हो सकता है
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नरीमन ने आगे कहा, 'जस्टिस कपाड़िया की संविधान पीठ ने पूर्व में एक फैसला दिया था कि प्रेस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन लंबित मामलों की रिपोर्टिंग को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। कोर्ट उस फ़ैसले के आधार पर कोई आदेश देने पर विचार कर सकता है'
इस पर AK बस्सी के वकील राजीव धवन ने नरीमन का विरोध किया। कोर्ट ने धवन से कहा, 'इस मामले पर बहस की ज़रूरत नहीं, हम इस पर कोई आदेश नहीं दे रहे।' कोर्ट ने नरीमन से मेरिट पर बहस करने को कहा
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सीवीसी के सवालों पर वर्मा का जवाब मीडिया में छापे जाने को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई ने आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी
अस्थाना से जुड़ी फाइल देख सकते हैं डायरेक्टर वर्मा
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे सीबीआइ रिश्वतखोरी के मामले की बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को मंजूरी दे दी है कि वे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के केस की फाइलों की जांच कर सकें
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन कमीशन (सीवीसी) के दफ्तर में जाकर केस से संबंधित फाइलों की जांच कर सकते हैं। अगली सुनवाई अब सात दिसंबर को होगी। हाई कोर्ट ने आलोक वर्मा से कहा कि वह गुरुवार को साढ़े चार बजे जाएं और फाइलों की जांच करें।
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