Friday, September 21, 2018

किसी की याद में तड़पना ...आंसू बहाना , गमजदा होना समझ में आता है ....पर ...

मातम या मातम का दिखावा ?? - जुनैद उर्फ Jolly

किसी की याद में तड़पना ...आंसू बहाना ...गमजदा होना.... समझ में आता है ....
लेकिन सालों पहले किसी एक के द्वारा किए गए धोखे  धूर्तता और घात से मौत देने का दुख  ....सजा के रूप में आज तक लोगों द्वारा  अपने आपको देकर साबित क्या करना चाहते हैं????

 सड़कों पर ... खुद पर हंटर बरसाना ...चाकू और छूरियों से खुद को गोद लेना ....तलवार को शरीर से आर-पार निकाल देना.... सिर में बड़े बड़े घाव लगा कर खून को शरीर से निकलने देना और सड़कों को रंग देना..... छोटे और अबोध बालकों के शरीर की जीभ लोहे की सींको से बींध देना....हाय हुसैन कह कह स्वयं को कर्बला में शहीद हुसैन के लिए दर्द और जुनून की हदों को पार कर  दिमागी दिवालियापन का प्रमाण देना मात्र पागलपन है।

इतना जुनून और पागलपन यदि बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए की होती तो आज ये मातम के नाम पर न्यू सड़कों पर खून न बहा कर अपने दुख का दिखावा न करते।

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