बेलगाम ब्यूरोक्रेसी ने संवैधानिक मर्यादाओं को तार तार कर दिया है. आलम ये है कि विभागीय काम कराने के लिए मंत्रियों को अपने प्रधान सचिव के चैंबर में गुहार लगानी पड़ रही है.
बेबस अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को लगानी पड़ी गुहार
मुख्य सचिवालय में आज प्रधान सचिव आमिर सुबहानी के दफ्तर के कर्मचारी तब चौंक गये जब मंत्री खुर्शीद आलम उर्फ फिरोज उनके दफ्तर में पहुंच गये. प्रधान सचिव के दफ्तर में किसी मंत्री के पहुंचने का ये पहला मामला था. आनन-फानन में प्रधान सचिव को खबर दी गयी. फिर मंत्री जी को चैंबर के अंदर ले जाया गया. प्रधान सचिव के चैंबर में मंत्री तकरीबन 45 मिनट बैठे. उनके पास विभागीय काम की पूरी सूची थी. मंत्री जी प्रधान सचिव से सारे मसले पर बात करके ही बाहर निकले.
नीतीश के खास ऑफिसर का कारनामा
आमिर सुबहानी नीतीश कुमार की नाक के बाल माने जाते हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें एक दशक से गृह विभाग का सचिव बना रखा है. आमिर सुबहानी सरकार के कितने खास हैं इसका अंदाजा उनके जिम्मे काम से लगाइये. सुबहानी के पास गृह विभाग के अलावा सामान्य प्रशासन विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, मद्य निषेध और उत्पाद विभाग भी है. बोलचाल की भाषा में कहें तो आधा सरकार अकेले सुबहानी संभालते हैं.
सरकारी सूत्र बताते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज के लिए आमिर सुबहानी के पास टाइम नहीं था. अल्पसंख्यक मंत्री लंबे अर्से से अपने सचिव के विभाग में आने का इंतजार कर रहे थे. ताकि अल्पसंख्यक कल्याण का काम तेज किया जा सके. लेकिन प्रधान सचिव नहीं आये. हद तो ये कि 5 अक्टूबर को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आने वाले हैं लेकिन उनके दौरे को लेकर भी विचार करने के लिए प्रधान सचिव के पास समय नहीं था. ऐसे में हारकर मंत्री को ही प्रधान सचिव के कक्ष में जाना पड़ा.
लाचार मंत्री को नहीं सूझा जवाब
प्रधान सचिव के चैंबर से निकलते मंत्री को न्यूज फॉर नेशन की टीम ने रोका. उनसे पूछा कि कौन सी बेबसी थी कि प्रधान सचिव के चैंबर में आना पड़ा. मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज पहले तो कुछ बोलने से परहेज करते रहे फिर स्वीकारा कि विभागीय काम से प्रधान सचिव के पास पहुंचे थे. मंत्री से हमने पूछा कि क्या मंत्री के प्रधान सचिव के चैंबर मे आने से संवैधानिक मर्यादायें नहीं टूटी. मंत्री जी बोले वे मानव हैं और मानव के पास आये थे ..... (साभार #न्यूज4नेशन)
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