एक नजर
सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पीने वाला पवन अब भी झोपड़ी में रहता है, उसके अच्छे दिन कहाँ हैं ?
भारत दुनिया के बाकी देशों की तरफ सिर्फ क्लास (वर्ग) में नहीं बंटा है। भारत में असमानता, गरीबी, लैंगिक भेदभाव, छुआछूत आदि की जड़े जाति व्यवस्था धंसी हुई हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो पैर धुलावने वाले ब्राह्मण सांसद और धुलकर पीने वाले ओबीसी पवन साहू की आर्थिक स्थिति में इतना अंतर नहीं होता।
जी हां, झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पीने वाले पवन साहू के बारे में कुछ जानकारी खोज निकाली गई है। भाजपा कार्यकर्ता पवन साहू ओबीसी समाज से आते हैं। पवन साहू की आर्थिक हालत वैसी ही है जैसे ज्यादातर ओबीसी वर्ग के लोगों की होती है।
‘निशिकांत दूबे’ के पैर धोकर पीने वाले ‘पवन साहू’ झोपड़ी में रहते हैं। टूटी-फूटी झोपड़ी में। घर हालत देखकर ही पवन साहू की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है
पवन साहू की हालत मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं का भी पोल खोलती है। पीएम मोदी का दावा है कि देश की गरीब जनता उनके योजनाओं का खूब लाभ उठा रही है
लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा के एक ओबीसी कार्यकर्ता तक को मोदी सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिला है।
अगर मिला होता तो पवन साहू की हालत इतनी बद्तर नहीं होती। वो टूटी-फूटी झोपड़ी में अपना जीवन नहीं गुजार रहे होते। कम से कम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके पास घर तो जरूर ही होता।
अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि पवन साहू झोपड़ी से निकलकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले पक्के के घर में रहना नहीं चाहते हो
प्रधानमंत्री की बड़बोली योजनाओं का क्या हुआ, उसकी मिसाल है पवन साहू का पिछड़ा परिवार। क्या हुआ जनधन, मुद्रा योजना, उज्जवला योजना, घर-घर बिजली योजना, स्टैंड अप योजना का? इनसब का फायदा पवन साहू को क्यों नहीं मिला? ऐसा तो हो नहीं सकता कि वो इन योजनाओं का लाभ नहीं लेना चाहते हो
बता दें कि 16 सितंबर को एक कार्यकर्म के दौरान पवन साहू ने सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पी लिया था। सांसद दुबे ने इस घृणित घटना की फोटो बड़े गर्व के साथ अपने फेसबुक पर शेयर भी की थी
मीडिया और सोशल मीडिया में विरोध होने पर निशिकांत दुबे सफाई देते हुए कहा था कि अथिति के पैर धुलकर पीना झारखंड की प्रथा है
सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पीने वाला पवन अब भी झोपड़ी में रहता है, उसके अच्छे दिन कहाँ हैं ?
भारत दुनिया के बाकी देशों की तरफ सिर्फ क्लास (वर्ग) में नहीं बंटा है। भारत में असमानता, गरीबी, लैंगिक भेदभाव, छुआछूत आदि की जड़े जाति व्यवस्था धंसी हुई हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो पैर धुलावने वाले ब्राह्मण सांसद और धुलकर पीने वाले ओबीसी पवन साहू की आर्थिक स्थिति में इतना अंतर नहीं होता।
जी हां, झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पीने वाले पवन साहू के बारे में कुछ जानकारी खोज निकाली गई है। भाजपा कार्यकर्ता पवन साहू ओबीसी समाज से आते हैं। पवन साहू की आर्थिक हालत वैसी ही है जैसे ज्यादातर ओबीसी वर्ग के लोगों की होती है।
‘निशिकांत दूबे’ के पैर धोकर पीने वाले ‘पवन साहू’ झोपड़ी में रहते हैं। टूटी-फूटी झोपड़ी में। घर हालत देखकर ही पवन साहू की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है
पवन साहू की हालत मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं का भी पोल खोलती है। पीएम मोदी का दावा है कि देश की गरीब जनता उनके योजनाओं का खूब लाभ उठा रही है
लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा के एक ओबीसी कार्यकर्ता तक को मोदी सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिला है।
अगर मिला होता तो पवन साहू की हालत इतनी बद्तर नहीं होती। वो टूटी-फूटी झोपड़ी में अपना जीवन नहीं गुजार रहे होते। कम से कम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके पास घर तो जरूर ही होता।
अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि पवन साहू झोपड़ी से निकलकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले पक्के के घर में रहना नहीं चाहते हो
प्रधानमंत्री की बड़बोली योजनाओं का क्या हुआ, उसकी मिसाल है पवन साहू का पिछड़ा परिवार। क्या हुआ जनधन, मुद्रा योजना, उज्जवला योजना, घर-घर बिजली योजना, स्टैंड अप योजना का? इनसब का फायदा पवन साहू को क्यों नहीं मिला? ऐसा तो हो नहीं सकता कि वो इन योजनाओं का लाभ नहीं लेना चाहते हो
बता दें कि 16 सितंबर को एक कार्यकर्म के दौरान पवन साहू ने सांसद निशिकांत दुबे का पैर धुलकर पी लिया था। सांसद दुबे ने इस घृणित घटना की फोटो बड़े गर्व के साथ अपने फेसबुक पर शेयर भी की थी
मीडिया और सोशल मीडिया में विरोध होने पर निशिकांत दुबे सफाई देते हुए कहा था कि अथिति के पैर धुलकर पीना झारखंड की प्रथा है
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