"सेनानी! करो प्रयाण अभय, भावी इतिहास तुम्हारा है
ये नखत अमा के बुझते हैं, सारा आकाश तुम्हारा है
हाँ, "जयप्रकाश" है नाम समय की करवट का, अँगड़ाई का
भूचाल, बवण्डर के ख्वाबों से भरी हुई तरुणाई का
है "जयप्रकाश" वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है
बढ़ कर जिसके पद-चिह्नों को उर पर अंकित कर लेता है".....
वैसे तो क्रांतिपूंज अमर कवि रामधारी सिंह “दिनकर” जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से सतत राष्ट्र भक्तों को सम्मान और श्रद्धांजलि दिया है ; लेकिन एकमात्र महानायक जिन्हें उन्होंने जीते जी ही इतिहास पुरुष की उपाधि दे दी थी ; वो थे समाजवाद के प्रखर “योद्धा” तानाशाह हुकूमत की नीव उखाड़ देने वाले “बिहार पुत्र” जयप्रकाश नारायण ; आज जब कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें नमन कर रहा तो सचमुच अपने बिहारी होने पर मैं भी फक्र कर रहा गर्व की अनुभूति हो रही
जीते जिंदगी हीं इतिहास के किवदंती बने महानायक को शत शत प्रणाम ... 🙏🇮🇳🙏
जब देश के मर्द , नामर्द बनने को तैयार थे , भारत के विशाल लोकतांत्रिक आकाश पर घने काले बादलों ने अपना कब्जा जमा लिया था , तूफान के झंझावात में आशा के सारे दीप बुझ गए थे , हर तरफ दहशत खौफ और आतंक का साम्राज्य हो गया था , जो अंग्रेजीयत भारी पड़ रहा था , ऐसे में बिहार की पावन माटी से पवित्र भूमि से आंदोलन की चिंगारी निकली जिसने पूरे देश में क्रांति और परिवर्तन की आग जलाई , आशा की उम्मीद और विश्वास का संचार किया , परिणाम हिटलर की सल्तनत उखड़ गई....
जयप्रकाश जी आज खासतौर पर प्रासंगिक है ! क्योंकि देश की स्थिति और परिस्थिति उसी हालात की ओर बढ़ गए और उसी हालत में आ गए हैं ! पूरा देश तानाशाही अफसरशाही हिंसा कट्टरवादीता , भ्रष्टाचार और भयग्रस्त है , फिर से भारत , बिहार की ओर गंभीरता से देख रहा ! बिहार के राजनीति में “नवोदित सितारा” से लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं , जो अहंकारी सल्तनत को उखाड़ फेंके , देश में समाजवाद की पैरवी करें मानवतावाद का प्रचारक बने...... 🙏