सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अबतक महिलाएं विरोध के चलते सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी हैं. शुक्रवार को मंदिर में करीब 100 पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर जा रही 2 महिलाओं को भी अब वापस लौटना पड़ा हैं. इनमें एक महिला हैदराबाद के मोजो टीवी की जर्नलिस्ट कविता जक्कल हैं और दूसरी ऐक्टिविस्ट रिहाना फातिमा हैं. दोनों महिलाएं मंदिर के परिसर तक पहुंच गई थीं
'महिलाएं आईं तो बंद होगा मंदिर'
केरल के आईजी श्रीजीत ने बताया कि वो दोनों महिलाओं को लेकर मंदिर के परिसर में पहुंच गए थे, लेकिन तांत्री और पुजारी ने कहा कि अगर आईजी महिलाओं को अंदर ले जाने की कोशिश करेंगे तो वो मंदिर बंद कर देंगे.
इस पर आईजी ने कहा, ''हम उन्हें (महिलाओं को) मंदिर ले गए और सुरक्षा दी. लेकिन दर्शन पुजारी की सहमति से हो सकते हैं. हम उन्हें पूरी सुरक्षा देंगे जो उन्हें चाहिए.
उधर, मंदिर के प्रमुख पुजारी कंडारारू राजीवारू ने कहा, ''हमने मंदिर को बंद करने का फैसला लिया है, चाबी दे देंगे और चले जाएंगे. मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है.''
सबरीमाला मंदिर जाने के रास्ते में महिलाओं के प्रवेश को लेकर तनाव और हिंसा का माहौल बना हुआ है. इस बीच केरल सरकार के मंत्री ने कहा है कि एक्टिविस्ट को एंट्री की इजाजत नहीं दी जाएगी.
राज्य देवासम (धार्मिक ट्रस्ट) मंत्री काडाकमपल्ली सुंदरन ने कहा, ''कुछ एक्टिविस्ट भी मंदिर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार के लिए चेक करना असंभव है कि कौन श्रद्धालु है और कौन ऐक्टिविस्ट. वहां 2 ऐक्टिविस्ट हैं, जिनमें एक पत्रकार भी मानी जा रही हैं. हर उम्र के लोगों को प्रवेश की अनुमति है लेकिन हम यहां एक्टिविस्टों को आकर अपनी ताकत दिखाने की इजाजत नहीं दे सकते."
गुरुवार को 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के लिए भारत की संवाददाता सुहासिनी राज अपने साथी के साथ पंबा तक पहुंच गईं थी लेकिन गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया और उनके सामने ह्यूमन चेन बनाकर खड़े हो गए. जिसकी वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के बाद पहली बार बुधवार को मंदिर के कपाट खुले थे. कोर्ट ने अपने फैसले में 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की मंजूरी दी थी.
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