विजयदशमी के उत्सव के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सलाना कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि राम मंदिर के लिए कानून बनना चाहिए. भागवत के इस बयान पर सवाल उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि 4 राज्यों में और जल्द ही केंद्र में चुनाव नजदीक आए तब हिंदुओं की भावनाएं और भगवान राम की याद आई. अब तक क्यों चुप रहे?
प्रवीण तोगड़िया ने बयान जारी कर कहा है कि 1989 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कहा गया था कि संसद में पूर्ण बहुमत में सरकार आएगी तब कानून बनाकर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा. इस वादे के भरोसे में सैकड़ों हिंदुओं ने प्राण दिए, हजारों जेल गए. और जब केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार आई, तब पिछले 4.5 साल से रामभक्तों की आवाज को दबाया गया.
तोगड़िया ने दावा किया 2017 में भोपाल में बैठक बुलाकर आरएसएस द्वारा कहा गया कि संसद में राम मंदिर के कानून की बात बोलना बंद करो. उडुपी में नवंबर 2017 धर्मसंसद में अनेकों संतों की मांग के बावजूद राम मंदिर पर कानून का प्रस्ताव नहीं लाया गया, जो पिछली 14 धर्मसंसदों की मांग के विपरीत था.
तोगड़िया ने सवाल किया कि राम मंदिर पर कानून की मांग को लेकर अनशन कर रहे संत परमहंसदास को जब यूपी पुलिस घसीटकर ले गई, तब आज के बौद्धिक देने वाले कहां थे? तोगड़िया ने मांग की है कि राम मंदिर में कानून लाने में 4.5 सालों की अक्षम्य देरी के लिए केंद्र सरकार, बीजेपी और उनकी मातृसंगठन आरएसएस को हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए
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