रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता का एक ट्वीट उसके लिए संकट बन गया। नौसेना के पूर्व चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश के ट्वीट पर प्रतिक्रिया जताते हुए प्रवक्ता ने बताया कि सेना के अधिकारी किस तरह सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं। हालांकि तीखी प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। वहीं, आर्मी पीआरओ कर्नल अमन आनंद को कार्यकारी आधिकारिक प्रवक्ता का चार्ज दे दिया गया।
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असल में एक यूजर ने सेना की पश्चिमी कमान के आंतरिक वित्तीय सलाहकार की आधिकारिक कार के बोनट पर एक सैन्य ध्वज लगे होने की तस्वीर को ट्वीट किया था, जिसमें कार पर सेना के झंडे को लेकर सवाल उठाए गए थे। इसी ट्वीट पर पूर्व चीफ एडमिरल ने लिखा था, 'सेना कमांड के प्रतीकों का दुरुपयोग करने वाले इस व्यक्ति को प्रताड़ित करने और कड़ी फटकार लगाने की जरूरत है।' इसी ट्वीट के जवाब में रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता स्वर्णश्री राव राजशेखर ने पूर्व चीफ एडमिरल को जवाब देते हुए कहा, ‘जब आप सेना में अधिकारी थे, तब आपके घर में जवानों का दुरुपयोग नहीं हुआ? और उन फौजी गाड़ियों का क्या, जिन्हें आपके बच्चों को स्कूल छोड़ने और घर पहुंचाने के लिए प्रयोग किया गया। सरकारी वाहन पर मैडम की शॉपिंग और पार्टी के खर्चे को कैसे भूल सकते हैं? इसका खर्च कौन देगा?'
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विवाद बढ़ने पर ट्वीट हटाया
विवाद बढ़ता देख रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और सफाई देते हुए कहा, यह ट्वीट अनजाने में किया गया था और इसके लिए गहरा खेद है। लेकिन माफी मांगने में देर हो चुकी थी, क्योंकि ट्वीट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके थे। इसके बाद प्रवक्ता पर कार्रवाई करते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में पूर्व सैनिकों के साथ ही राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने भी रक्षा मंत्रालय पर निशाना साधते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और लिखा कि प्रवक्ता को अफसरों से इस तरह बात करने का अधिकार नहीं है। इसके साथ एक बार फिर रक्षा मंत्रालय में सिविलियन और सैन्य अफसरों के बीच खाई साफ सामने आ गई है। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब सेना के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय में तैनात नौकरशाह और असैनिक अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जताई हो।
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