Monday, November 19, 2018

बिहार: पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को क्यों नहीं पकड़ पा रही है नीतीश की पुलिस




"बिहार सरकार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा भूमिगत हैं. पुलिस उन्हें लगातार पकड़ने का प्रयास कर रही है. मगर फिर भी अभी तक उनका कोई पता नहीं लग पाया है.


"मुज़फ्फरपुर बालिका गृह मामले पर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को जब तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए तो बिहार सरकार ने कोर्ट को दिए हलफनामे में मंजू वर्मा को लेकर यही जवाब दिया.याचिका की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बिहार सरकार के इस जवाब पर हैरानी जताई और कहा कि बड़ी ही अजीब बात है कि सरकार को अपनी ही पूर्व मंत्री का पता नहीं चल पा रहा है.कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि "ऑल इज नॉट वेल इन बिहार." 


इस बीच जेडीयू ने मंजू वर्मा को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया.अब मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होनी है और सर्वोच्च न्यायालय ने ये आदेश दिया है कि यदि मंजू वर्मा 27 नवंबर के पहले गिरफ्तार नहीं होती हैं तो बिहार के डीजीपी केएस द्विवेदी खुद कोर्ट में पेश होकर इसका स्पष्टीकरण दें.




इसके अलावा कोर्ट ने मुज़फ्फरपुर मामले की जांच कर रही सीबीआई को ये भी कहा है कि जितनी जल्दी हो सके मामले की चार्जशीट दायर करें ताकि अपराधियों को ज़मानत लेने का मौका न मिल सके.


जब से सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर बिहार सरकार को फटकार लगाई है और बिहार पुलिस के डीजीपी को अदालत में पेश होने के लिए कह दिया है, तब से मंजू वर्मा को पकड़ने की कवायदें तेज कर दी गई हैं.

शुक्रवार को बेगुसराय ज़िले की एक अदालत ने भी आर्म्स एक्ट के एक मामले में मंजू वर्मा के ख़िलाफ़ इश्तेहार जारी कर कुर्की जब्ती का आदेश दे दिया है.कथित रूप से लगातार छापेमारी के बावजूद भी मंजू वर्मा को गिरफ्तार नहीं कर सकी पुलिस शनिवार को पूर्व मंत्री के घर पर इश्तेहार चिपकाकर और कुर्की जब्ती कर लौट आई.



पूर्व मंत्री को नहीं पकड़ सकने पर बिहार सरकार और बिहार पुलिस को देश की सबसे बड़ी अदालत से फजीहत क्यों झेलनी पड़ रही है?इन सवालों के बीच बिहार पुलिस के डीजीपी केएस द्विवेदी कहते हैं कि मंजू वर्मा को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

जब जुलाई के आख़िरी हफ्ते में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड सामने आया था और तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री होने के नाते मंजू वर्मा पर और मामले के मुख्य अभियुक्त से नजदीकियां रखने के कारण उनके पति चंद्रशेखर वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.मुजफ्फरपुर बालिकागृह मामले में विपक्ष और मीडिया में लगातार नाम आने पर मंजू वर्मा 26 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंची.


मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब देते हुए मंजू वर्मा अपने ऊपर लग रहे आरोपों के बचाव में कहा था, "मैं कुशवाहा जाति से आती हूं. इसलिए मुझे इस मामले में जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है."
मंजू वर्मा ने ये बयान देकर मुज़फ्फरपुर मामले में उनके इस्तीफे की मांग को जाति से जोड़ दिया था.


बिहार की राजनीति और समाज को समझने वाले पत्रकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं, "सब तो कास्ट कार्ड खेल ही रहे हैं. मंजू वर्मा ने भी अपनी जाति को कवच बनाने की कोशिश की. इसमें नया कुछ नहीं है. लेकिन फिर वही बात जो हमें समझनी होगी वो ये कि मंजू वर्मा कुशवाहा जाति की उतनी बड़ी नेता नहीं है जितने कि उपेंद्र कुशवाहा.

"नीतीश से मुलाक़ात के पंद्रह दिन बाद जब सीबीआई की जांच में मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा की ब्रजेश ठाकुर के साथ नज़दीकी और सीडीआर में उनके कॉल रिकॉर्ड्स पर बवाल हुआ तो आखिरकार मंजू वर्मा को ये कहकर इस्तीफ़ा देना पड़ा कि "मीडिया और विपक्ष की हायतौबा के कारण मुझे समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ रहा है. मैं किसी के कहने या दबाव में इस्तीफ़ा नहीं दे रही हूं."

मुज़फ्फरपुर बालिकागृह मामले की जांच में जब पहली बार मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम आया था तब विपक्ष ने सरकार की किरकिरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन आठ अगस्त को उनके इस्तीफ़े के बाद मामला ठंडा पड़ गया.

लेकिन मुज़फ्फरपुर मामले की जांच कर रही सीबीआई ने जब चंद्रशेखर वर्मा के मोबाइल सीडीआर रिकॉर्ड्स के आधार पर 17 अगस्त को मंजू वर्मा के बेगुसराय स्थित चेरिया-बरियारपुर स्थित घर छापा मारा तो उनके घर से क़रीब पचास जिंदा कारतूस मिल गए

ये वो कारतूस थे जो आम तौर पर पुलिस बलों और सेना के जवानों को दिए जाते हैं. घर से प्रतिबंधित हथियार मिलने के कारण मंजू वर्मा और उनके पति के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया.  ये केस दर्ज़ होने के बाद अब तक मंजू वर्मा न तो कभी मीडिया के सामने आईं और न ही पुलिस की गिरफ्त में.  


मुज़फ्फरपुर मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग बेंच ने मुज़फ्फरपुर समेत बिहार के तमाम आश्रय गृहों (जिनके बारे में TISS की रिपोर्ट पर सवाल उठाए गए थे) के कुप्रबंधन पर विचार करते हुए तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा की भूमिका पर सवाल खड़े करने शुरू किए.  तब पुलिस के दबाव के कारण 29 अक्टूबर को मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा ने बेगुसराय कोर्ट में सरेंडर कर दिया. उस समय खबर ये भी आ रही थीं कि मंजू वर्मा भी सरेंडर करेंगी.

डीजीपी द्विवेदी कहते हैं, "बिहार पुलिस ने मंजू वर्मा को पकड़ने के लिए विशेष टीम बनाकर उनके गृह जिले बेगुसराय सहित बिहार और दूसरे राज्यों के ठिकानों पर छापेमारी तेज़ कर दी है. गुप्त सूचनाओं के आधार पर हमें लगातार इनपुट्स मिल रहे हैं. जिनके आधार पर रेड की जा रही है."



उधर, राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी मंजू वर्मा के बहाने सरकार पर निशाना साधा है, "सरकार ने वर्मा का निलंबन तब क्यों नहीं किया जब उनपर आरोप लगे थे. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार के इरादों पर सवाल खड़े किए तो उन्हें मबजबूरन सस्पेंड करना पड़ा".




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