Thursday, November 29, 2018

तो क्या “कांग्रेस के आडवाणी” बना दिए गए हैं दिग्विजय सिंह



मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बड़े पैमाने पर इस बार कांग्रेस के चुनावी अभियान से अलग रहे.


खास बातें :- 

चुनाव प्रचार से अलग रहने पर दिग्विजय सिंह ने तोड़ी चुप्पी.

उन्होंने कहा कि पार्टी के हित में मैं अलग रहा.

मुझे चुनाव प्रचार से अलग रहने को कहा गया था.

भोपाल: मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बड़े पैमाने पर इस बार कांग्रेस के चुनावी अभियान से अलग रहे. मध्य प्रदेश में वनवास खत्म करने और जीत की चाह रखने वाली कांग्रेस के चुनावी अभियान से व्यापक तौर पर दिग्विजय सिंह के अलग रहने की वजह अब तक साफ नहीं थी, मगर अब खुद उन्होंने इसका कारण बताया है


एनडीटीवी से 71 वर्षीय दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'मैंने खुद को अभियान से बाहर रखा क्योंकि मुझे मध्यप्रदेश में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा गया था. इसलिए मैं दो अभियानों में बाहर रहा. जो कुछ भी मैं कर सकता था, जो भी मुझे करने के लिए कहा गया था, मैंने किया.'

जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि आखिर 15 सालों से कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर क्यों है, तो इस पर उन्होंने 60 लाख फर्जी वोटर का हवाला दिया. उसके बाद उन्होंने कहा कि पांच सालों में एक विपक्षी पार्टी के तौर पर कांग्रेस कोई 'रीयल चुनौती' नहीं दे सकी. फिर जब सवाल पूछा गआ कि आखिर ऐसा क्यों? तो उन्होंने कहा कि लोग अपने क्षेत्र में ज्यादा व्यस्त थे. मगर उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बार आपको मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि इस बार कांग्रेस जिस तरह से एकजुट थी, ऐसा मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के खिलाफ एक साथ मिलकर लड़ रहे हैं.



बता दें कि पिछले महीने एक वीडियो में दिग्विजय सिंह यह कहते हुए सुने गए थे कि वह कोई चुनावी अभियान नहीं करेंगे या भाषण नहीं देंगे, जिससे उनकी पार्टी को नुकसान हो. पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए वह सुने गए थे कि ' मेरे पास एक काम है. कोई कैंपेनिंग नहीं, कोई भाषण नहीं. मेरे भाषण से कांग्रेस का वोट कटेगा, इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगा

दरअसल, दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. साल 2003 में कांग्रेस सत्ता से अलग हो गई थी और 230 सीटों के मुकाबले काग्रेस पार्टी 38 सीटों पर सिमट के रह गई थी. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने या एक दशक तक राज्य की राजनीति में दखल न देने के लिए शपथ ली. हालांकि, 2013 में उनका यह प्रण पूरा हो गया. इसके बाद दिग्विजय सिंह कई तरह के विवादित बयानों को लेकर मीडिया में छाए रहे



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