इसका यह मतलब नहीं कि बिहार से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंका गया है , बस इसका रूप थोड़ा बदल दिया गया है , पहले भ्रष्टाचार बिचौलियों के द्वारा होता था अब सरकार ने अपने विश्वसनीय व्यक्ति के सहारे वसूली अभियान चला रखा है , दबी जुबान से लगभग सभी विभाग के पदाधिकारी इसे स्वीकार कर रहे हैं , पिछले दिनों इस मामले में नीतीश जी के काफी करीबी आरसीपी सिंह का नाम उछला था , चर्चा गरम है की सिंह जी ही हफ्ता वसूली सीएम हाउस तक पहुंचाते ...
चर्चा यह भी है कि इन दिनों मुख्यमंत्री जी से RCP की जम नहीं रही और इसी के काट के लिए प्रशांत किशोर का विधिवत जदयू में जॉइनिंग करवाया गया है , नंबर दो के नेता आरसीपी नंबर 3 हो गए हैं ,दौलत होती ही बड़ी खराब है अच्छे अच्छों का ईमान बिगड़ जाता है , कई संगठन के प्रति समर्पित पदाधिकारियों ने भी आरसीपी के कारण संगठन से त्यागपत्र दे दिया
इसी क्रम में अररिया जदयू जिलाध्यक्ष संजय राणा ने त्यागपत्र देते हुए बताया की आरसीपी सिंह कार्यकर्ताओं से गुलामों बंधुवा मजदूरों जैसा व्यवहार करते हैं और स्वाभिमानी कार्यकर्ता इस हालत में संगठन के साथ रहना गवारा नहीं कर सकते , यूं तो पहले से ही जदयू का संगठन बहुत मजबूत स्थिति में नहीं है लेकिन अब तो सिर्फ कागजों में ही संगठन रह गया है .......
विगत दो तीन वर्षों में राज्य फिर से पुराने दिनों के दौर से गुजर रहा अगर कभी यहां जंगलराज था तो आज यहां राक्षस राज की झलक दिख रही लगभग सभी क्षेत्रों में सरकार फेल है ; कभी फर्जी डिग्री के कारण तो कभी मुजफ्फरपुर शेल्टर होम बलात्कार , तो कभी सृजन घोटाला !लगातार राज्य के महान विरासत पर कलंक के टीके लग रहे ; अपनी इतिहास पर गर्व करने वाला बिहार ; आज शर्म और ग्लानि महसूस कर रहा !
रोज गोलियां चल रही हत्याएं हो रही लोग लूटे जा रहे ! हर तरफ अराजकता का वातावरण है , सारी व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गई , कभी जेल में गोलियां कर हत्या हो जाती है
पूर्णियां के बाल सुधार गृह में भी हथियार पहुंच गया और हत्याएं हो गई
पुलिस को एक मात्र काम शराब और शराबी पकड़ना है , अररिया में पदस्थापित कई टाइगर मोबाइल के सिपाहियों ने लाखों की प्रॉपर्टी बना लिया तो वरीय पदाधिकार की क्या चर्चा करें , थाने के किरानी (मुंशी जी) भी दारू पकड़ने अकेले छापा मार देते हैं माल दे ले के सेटिंग हुई तो ठीक वरना अंदर डालने में प्रभारी FIR करेगा , मुंशी ने पकड़ी 12 कार्टून शराब तीन कार्टून थाना लाते लाते गायब जमा हुई 9 कार्टून , नीचे दैनिक भास्कर अख़बार की कटिंग है जो सदर थाना का सच बता रही
शराबबंदी के नाम पर हजारों लोग जेल में बंद है लेकिन ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जिस दिन बिहार में हजारों बोतल शराब पकड़ी गई हो जब कभी पकड़े जाते हैं तो दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले होकर बेरोजगार युवा जहां से यह धंधा पूरे जिले में नियंत्रित हो रहा वहां के बारे में जानकर भी पुलिस अनजान बैठी है लाखों के करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे , अफसरशाही चरम पर है , जो आवाज विरोध में उठती है उसे झूठे मुकदमे में उड़ाने की साजिश चल रही जब तक लोग खुद को जातिवादी सोच के दायरे से बाहर नहीं निकाल पाते तभी तक ऐसी पार्टियां अस्तित्व में है
4 comments:
शराब बंदी एक ढोंग है। अपनी बाह बाही लूटने के लिए यह नाटक किया गया।
बियर/शराब बंद होने से हमारे नशेड़ी भाई लोग मेडिसिन का सेवन करने लगे है,जिससे वे लोग भयानक बिमारी का शिकार हो रहे है।
शराब बंदी से इसको ही फैदा हुआ।
शराब बंदी से इसको ही फैदा हुआ।
शराब बन्दी का मतलब हो गया है होम डिलीवरी , 500 वाला बोतल 1000
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