Friday, November 30, 2018

हिमाचल प्रदेश से दूध का दाम आया है , लूट का एक और पैगाम आया है


हिमाचल से दूध के दाम का हिसाब आया है, लूट का हिसाब आया है 

किसान मार्च पर कार्यक्रम के बाद हिमाचल प्रदेश से एक दर्शक का संदेश आया। संदेश अंग्रेज़ी में था। उन्होंने बताया कि उना में हमारे पास दो गायें हैं। पाँच लीटर दूध बेचते हैं। एक लीटर का भाव मिलता है  21.50. 2010 में यही रेट था 18 रु प्रति लीटर। कोई सरकार सही दाम नहीं देती है। जब हमने उनसे कहा कि मुझे विस्तार से बताएँ तो उनका दूसरा मेसेज आया। यह जनाब मार्च में हिस्सा लेने दिल्ली नहीं आए हैं मगर इस मार्च के बहाने अपने सवालों को लेकर जहाँ हैं वहीं मार्च कर रहे हैं। उनके दिलो दिमाग़ पर किसानों का मुद्दा छाया हुआ है। 



 मेरे माता पिता उना ज़िले के पनगोडा गाँव में रहते हैं। हम 1981 से गायें पाल रहे हैं 2012 तक राज्य दुग्ध सहकारिता की गाड़ियाँ आती थीं और छोटे किसानों से दूध ले जाती थीं। जबकि दाम बहुत कम मिलता रहा। 18 रुपये प्रति लीटर। कुछ समय बाद सहकारिता की गाड़ी आनी बंद हो गई। 2016 में Verka ने दूध लेना शुरू कर दिया। आज दाम 23 रुपये प्रति लीटर है। यह दाम शुद्ध दूध का है। हर हफ़्ते कंपनी हमारे दूध में वसा की मात्रा की जाँच होती है। वसा की मात्रा बढ़ाने के लिए गाय को विशेष आहार देना पड़ता है जिस पर हर महीने 4000 अलग से ख़र्च हो जाता है। इसके कारण दूध की क़ीमत 24 रुपये प्रति लीटर मिल जाती है क्योंकि वसा की मात्रा अधिक होती है। चारा, घास कुतरना, मज़दूरी, बिजली का भी ख़र्चा होता है। सूखा चारा सौ रुपये कुंतल आता है। साल में पचास हज़ार लग जाता है हर महीने पंद्रह हज़ार की लागत आती है। अगर हम पाँच लीटर दूध 23 रुपये प्रति लीटर के भाव से बेचते हैं तो तीस दिन में हमारी कमाई होती है 15,600 रुपये होती है। 


मैं शिमला में रहता हूँ जहाँ 24 रुपये का आधा लीटर दूध ख़रीदता हूँ। वो भी डबल टोन दूध। जबकि अपने घर में 24 रुपये लीटर से कम पर दूध बेचता हूँ। यह हमारे साथ मज़ाक़ नहीं तो और क्या है।



जब मैंने उनसे पूछा कि छह सौ रुपये के लाभ के लिए कोई इतनी मेहनत क्यों करेगा? तो ये जवाब आया है।


“ कभी हिसाब ही नहीं किया। और शायद फ़ायदा होता भी ना हो। खेती के साथ पशु पालन होता ही है। यह कहानी सभी छोटे ज़मींदारों की है। एक गाँव में रहने वाला ही समझेगा नहीं तो यह business लगेगा।” शुक्रिया समझने के लिए 🙏


Thursday, November 29, 2018

अथ श्री CBI गाथा :- 5 दिसंबर को होगी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई


नई दिल्ली :- भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की ओर से दायर रिपोर्ट पर सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अब मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी। इससे पहले, आज यानि गुरुवार को सुनवाई के दौरान सीबीआइ डायरेक्टर अलोक वर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील फली नरीमन और स्पेशल सीबीआई डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए

देश की प्रतिष्ठित जाँच एजेंसी CBI के अंदर मचे तूफान का कारण


बहस के दौरान नरीमन ने कहा, 'काम छीनने से पहले नियुक्ति कमेटी से मशविरा नहीं किया गया, न ही कोर्ट की इजाज़त ली गई। जिसने विनीत नारायण का फैसला सुनाया था।' नरीमन ने कहा कि वर्मा से निदेशक का काम छीनना ग़ैरक़ानूनी है।

विपक्षी नेता के तौर नियुक्ति कमेटी के सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका पर उनके वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की। सिब्बल ने कहा, 'सीवीसी और सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। आदेश ग़ैरक़ानूनी है।'

अथ श्री CBI कथा :- 70 साल में पहली बार “CBI" का हाल बेहाल

 कॉमनकॉज संस्था की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने दलीलें पेश की। दवे ने भी आलोक वर्मा से काम छीनने को ग़लत ठहराया। दवे ने कहा कि कानून में एक प्रक्रिया तय है उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यहां तक कि ट्रांसफ़र के पहले भी कमेटी से मशविरे की बात कही गई है

CBI Officer Alok Verma 


आलोक वर्मा के वकील और जज के बीच सवाल-जवाब
जस्टिस केएम जोसेफः 'मान लो कोई रंगे हाथ रिश्वत लेता पकड़ा जाता है तो उस स्थिति में क्या होगा?
अथ श्री CBI गाथा :- सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा नियुक्त CBI चीफ नागेश्वर राव पर लगाया लगाम https://eknazartezkhabar.blogspot.com/2018/10/cbi-cbi.html
नरीमन का जवाबः 'ऐसे में कोर्ट से इजाज़त ली जाएगी'

जस्टिस जोसेफः 'क्या ऐसे व्यक्ति को एक भी मिनट पद पर रहना चाहिए'

नरीमन का जवाबः 'लेकिन कोर्ट है उसके पास जाएं'

सीबीआई में दूसरे नम्बर के अधिकारी राकेश अस्थाना पर बभ्र्ष्टाचार का मुकदमा दर्ज l

'जवाब लीक' होने पर ये बोला सुप्रीम कोर्ट

आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने कहा, 'पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने जो पूछा था, उससे उनके मुवक्किल (आलोक वर्मा) का लेनादेना नहीं।' उन्होंने एक पुराने आदेश का हवाला दे कहा कि कुछ भी कोर्ट में दाखिल होते ही सुनवाई पर आने तक प्रेस को उसे पब्लिश करने से रोकने पर विचार हो सकता है
UP me Jail Me Baith kar Gunde Chala rhe Sarkar 

नरीमन ने आगे कहा, 'जस्टिस कपाड़िया की संविधान पीठ ने पूर्व में एक फैसला दिया था कि प्रेस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन लंबित मामलों की रिपोर्टिंग को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। कोर्ट उस फ़ैसले के आधार पर कोई आदेश देने पर विचार कर सकता है'



इस पर AK बस्सी के वकील राजीव धवन ने नरीमन का विरोध किया। कोर्ट ने धवन से कहा, 'इस मामले पर बहस की ज़रूरत नहीं, हम इस पर कोई आदेश नहीं दे रहे।' कोर्ट ने नरीमन से मेरिट पर बहस करने को कहा

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सीवीसी के सवालों पर वर्मा का जवाब मीडिया में छापे जाने को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई ने आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी

अस्थाना से जुड़ी फाइल देख सकते हैं डायरेक्टर वर्मा

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे सीबीआइ रिश्वतखोरी के मामले की बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को मंजूरी दे दी है कि वे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के केस की फाइलों की जांच कर सकें

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन कमीशन (सीवीसी) के दफ्तर में जाकर केस से संबंधित फाइलों की जांच कर सकते हैं। अगली सुनवाई अब सात दिसंबर को होगी। हाई कोर्ट ने आलोक वर्मा से कहा कि वह गुरुवार को साढ़े चार बजे जाएं और फाइलों की जांच करें।


ऊना में अत्याचार के शिकार दलितों ने गुजरात सरकार के रवैये से निराश होकर राष्ट्रपति से माँगी इच्छा मृत्यु का आदेश

                                 

गांधीनगर: साल 2016 में गुजरात के ऊना में हुए दलित अत्याचार मामले में पीड़ित परिवार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कर इच्छा मृत्यु की मांग की है. परिवार की तरफ से वाश्रम सरवैया ने पत्र में कहा है कि गुजरात सरकार द्वारा उनके परिवार से किया गया वादा पूरा नहीं हुआ है. पत्र में यह भी कहा गया है कि सात दिसंबर से परिवार का एक सदस्य दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठेगा.

ख़बर के अनुसार, पत्र लिखने वाले वाश्रम का कहना है कि 11 जुलाई 2016 में हुए इस घटना के बाद उस समय की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया है. पत्र में वे कहते हैं, ‘आनंदीबेन ने वादा किया था कि हर पीड़ित को पांच एकड़ ज़मीन के अलावा योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी मिलेगी. इसके अलावा उनके गांव ‘मोटा समाधिला’ को विकसित गांव बनाया जाएगा, लेकिन इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है.’
11 जुलाई, 2016 को गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुका स्थित मोटा समाधिला गांव में गौ रक्षकों ने कथित रूप से गाय ले जाने के कारण दलितों पर हमला किया था. वाश्रम के अलावा उनके छोटे भाई रमेश और उनके पिता बलू और मां कुंवर के अलावा आठ दलितों को सड़क पर खुलेआम पिटाई की गई थी.
गौरक्षकों ने दावा किया था कि दलित गाय की हत्या कर रहे थे, लेकिन पुलिस जांच में पता चला है कि पीड़ित परिवार के लोग महज मृत गायों की खाल उतार रहे थे.
दलितों की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे प्रदेश में दलितों का आंदोलन हुआ और उनमें कई लोगों ने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया और कुछ की मौत भी हो गई थी.
वाश्रम ने कहा कि हमले के बाद खाल उतारने के उनके पारंपरिक काम को छोड़ दिया है. वो कहते हैं, ‘हमने पशुओं के खाल उतारने का व्यवसाय को छोड़ दिया है और इसलिए आजीविका चलना मुश्किल हो गया है. यह संभव है कि हम भविष्य में भूख से मर जाएंगे. हमने अपने मामले को बार-बार लिखित रूप में और मौखिक रूप से दर्शाया है, लेकिन गुजरात सरकार ने हमारी किसी भी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया है.’
वाश्रम ने पत्र में लिखा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कई दलितों पर हिंसा का मुकदमा दर्ज कर दिया है, लेकिन अभी तक उसे वापस भी नहीं लिया गया है.
वो कहते हैं, ‘आंदोलन के दौरान पुलिस ने दलितों के खिलाफ पूरी तरह से झूठे मामले दायर किए थे. जब भी हम अपने समुदाय के कुछ सामाजिक समारोह में भाग लेने के लिए जाते हैं, तो हमें यह दर्द और परेशानी महसूस होती है कि हमारे समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दायर किए गए मामलों को वापस नहीं लिया गया है.’
पत्र में उन्होंने आगे कहा है कि उनके परिवार को राज्य सरकार की तरफ से किसी भी तरह का कोई सुरक्षा प्रदान नहीं किया गया है.
वाश्रम कहते हैं, ‘वेरावल की एक अदालत में हमारे मामले की सुनवाई की जा रहा है. राज्य गृह विभाग को हमारी याचिका के बावजूद, न तो हमें और न ही गवाहों को पुलिस सुरक्षा दी गई है. न ही पुलिस अदालत में गवाहों को लाने के लिए किसी भी वाहन की व्यवस्था कर रही है. दूसरी ओर आरोपी को जमानत मिल रही है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वे अपनी जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं और अन्य अपराधों में शामिल हो रहे हैं. इन सबके बावजूद, राज्य सरकार ने ऐसे लोगों की ज़मानत रद्द करने के लिए कुछ भी नहीं किया है. इसलिए, राज्य सरकार हमारी मांगों को पूरा करने में विफल रही है. अब हम दुखी हो गए हैं. हम लंबे समय तक नहीं जीना चाहते हैं और इसलिए इच्छा मृत्यु के लिए अनुमति मांग रहे हैं.’


तो क्या “कांग्रेस के आडवाणी” बना दिए गए हैं दिग्विजय सिंह



मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बड़े पैमाने पर इस बार कांग्रेस के चुनावी अभियान से अलग रहे.


खास बातें :- 

चुनाव प्रचार से अलग रहने पर दिग्विजय सिंह ने तोड़ी चुप्पी.

उन्होंने कहा कि पार्टी के हित में मैं अलग रहा.

मुझे चुनाव प्रचार से अलग रहने को कहा गया था.

भोपाल: मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बड़े पैमाने पर इस बार कांग्रेस के चुनावी अभियान से अलग रहे. मध्य प्रदेश में वनवास खत्म करने और जीत की चाह रखने वाली कांग्रेस के चुनावी अभियान से व्यापक तौर पर दिग्विजय सिंह के अलग रहने की वजह अब तक साफ नहीं थी, मगर अब खुद उन्होंने इसका कारण बताया है


एनडीटीवी से 71 वर्षीय दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'मैंने खुद को अभियान से बाहर रखा क्योंकि मुझे मध्यप्रदेश में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा गया था. इसलिए मैं दो अभियानों में बाहर रहा. जो कुछ भी मैं कर सकता था, जो भी मुझे करने के लिए कहा गया था, मैंने किया.'

जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि आखिर 15 सालों से कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर क्यों है, तो इस पर उन्होंने 60 लाख फर्जी वोटर का हवाला दिया. उसके बाद उन्होंने कहा कि पांच सालों में एक विपक्षी पार्टी के तौर पर कांग्रेस कोई 'रीयल चुनौती' नहीं दे सकी. फिर जब सवाल पूछा गआ कि आखिर ऐसा क्यों? तो उन्होंने कहा कि लोग अपने क्षेत्र में ज्यादा व्यस्त थे. मगर उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बार आपको मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि इस बार कांग्रेस जिस तरह से एकजुट थी, ऐसा मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के खिलाफ एक साथ मिलकर लड़ रहे हैं.



बता दें कि पिछले महीने एक वीडियो में दिग्विजय सिंह यह कहते हुए सुने गए थे कि वह कोई चुनावी अभियान नहीं करेंगे या भाषण नहीं देंगे, जिससे उनकी पार्टी को नुकसान हो. पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए वह सुने गए थे कि ' मेरे पास एक काम है. कोई कैंपेनिंग नहीं, कोई भाषण नहीं. मेरे भाषण से कांग्रेस का वोट कटेगा, इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगा

दरअसल, दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. साल 2003 में कांग्रेस सत्ता से अलग हो गई थी और 230 सीटों के मुकाबले काग्रेस पार्टी 38 सीटों पर सिमट के रह गई थी. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने या एक दशक तक राज्य की राजनीति में दखल न देने के लिए शपथ ली. हालांकि, 2013 में उनका यह प्रण पूरा हो गया. इसके बाद दिग्विजय सिंह कई तरह के विवादित बयानों को लेकर मीडिया में छाए रहे



करतारपुर साहिब कॉरिडोर का हुआ उद्घाटन , पाकिस्तान में छा गए सिद्धू

                             

करतारपुर साहिब कॉरिडोर की नींव रख दी गई है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बुधवार (28 नवंबर 2018) को कॉरिडोर का उद्घाटन किया



इस मौक़े पर इमरान ख़ान ने भारत के साथ दोस्ती की बात दोहराई और कहा कि कश्मीर के मसले को भी सुलझाया जा सकता है.

इस समारोह में भारत की ओर से पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल मौजूद थीं. कॉरिडोर के शिलान्यास के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू बोले कि हिंदुस्तान जीवे, पाकिस्तान जीवे. उन्होंने कहा कि मुझे कोई डर नहीं, मेरा यार इमरान जीवे

अपनी पूरी श्रद्धा जताते हुए भारत सरकार की तरफ़ से इस समारोह में शामिल होने पहुंचीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कहा कि 70 साल से हर सिख की यह इच्छा थी. जिस धरती पर सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी का अवतार हुआ वो धरती आपकी. हम चार किलोमीटर की दूरी से यहां नमन करते हैं. 70 साल में पहली बार मेरे जैसे कई सिखों को यहां आकर नमन करने का मौक़ा मिला



पाकिस्तान ने इस कार्यक्रम में शरीक होने के लिए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी न्योता दिया था लेकिन अलग-अलग कारणों से दोनों ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया.



गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान के करतारपुर में है. माना जाता है कि करतारपुर साहेब में गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल बिताए थे. यह सिखों की गहन आस्था का केंद्र है.

गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान के ज़िला नारोवाल में है जो लाहौर से करीब 120 किलोमीटर दूर है. ये गुरुद्वारा भारत की सीमा से क़रीब तीन किलोमीटर दूर है, लेकिन पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव ने इसे तीर्थयात्रियों के लिए बहुत दूर बना दिया है.


भारत सरकार ने भारतीय सीमा के नज़दीक एक बड़ा टेलिस्कोप लगाया है जिसके ज़रिए तीर्थयात्री करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं


अब डेरा बाबा नानक से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक गुरुद्वारा दरबार सिंह करतारपुर के लिए कॉरिडोर बनाया जायेगा और इसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठायेगी.

कहा जाता है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर कुदरत का बनाया अद्भुत स्थान है. पाकिस्तान में सिखों के और भी धार्मिक स्थान हैं- डेरा साहिब लाहौर, पंजाब साहिब और ननकाना साहिब उन गांव में हैं जो भारत-पाक सीमा के क़रीब है


लाहौर से गुरुद्वारे की तरफ़ बढ़ने पर जैसे ही आप गुरुद्वारे के नज़दीक शकरगढ़ रोड़ तक आते हैं, आपको ख़ूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है.


हरे भरे खेत आपका स्वागत करते हैं, बच्चे खेतों में खेलते और ट्यूबवेल से पानी पीते नज़र आते हैं. इन्हीं खेतों के बीच एक सफेद रंग की शानदार इमारत नज़र आती है. गुरुद्वारे के अंदर एक कुंआ है. माना जाता है कि ये कुंआ गुरुनानक देव जी के समय से है और इस कारण कुंए को लेकर श्रद्धालुओं में काफ़ी मान्यता है.

कुंए के पास एक बम के टुकड़े को भी शीशे में सहेज कर रखा गया है. कहा जाता है कि 1971 की लड़ाई में ये बम यहां गिरा था. यहां सेवा करने वालों में सिख और मुसलमान दोनों शामिल होते हैं.


रावी नदी में आई बाढ़ के कारण गुरुद्वारे को काफ़ी नुकसान पहुंचा था. उसके बाद 1920-1929 तक महाराजा पटियाला ने इसे फिर से बनवाया था. इस पर 1,35,600 का खर्चा आया.

करतारपुर साहिब के बारे में पहली 1998 में भारत ने पाकिस्तान से बातचीत की थी और उसके 20 साल बाद ये मुद्दा फिर सुर्खियों में आया है


Wednesday, November 28, 2018

अब योगी आदित्यनाथ ने बजरंग बली हनुमान जी को दलित बताया


चुनावी मौसम में पहले नेताओं ने एक दूसरे की जाति पूछी फिर बात गोत्र तक पहुंची और अब रामभक्त हनुमान को दलित करार दे दिया गया है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने राजस्थान के अलवर एक चुनावी रैली में बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दे दिया. उन्होंने कहा कि हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जो खुद वनवासी हैं और दलित हैं.

योगी ने कांग्रेस पर निशाने लगाते हुए जातिगत वोटबैंक को साधने के लिए उन्होंने इस चुनावी जंग में देवी देवताओं को भी शामिल कर लिया.


‘राम भक्त बीजेपी को और रावण भक्त कांग्रेस को दें वोट’
अलवर में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे योगी बजरंगवली की जाति बताने पर ही नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में राम भक्त बीजेपी को वोट दें और रावण भक्त कांग्रेस को वोट दें. योगी के इस बयान को बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे और जातिगत वोट बैंक साधने की कोशिश के तौर पर 


इससे पहले योगी ने मध्य प्रदेश में भी अली और बजरंगबली की लड़ाई वाला बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि ये लड़ाई बीजेपी के ‘बजरंगबली’ और कांग्रेस के ‘अली’ के बीच है. योगी के इस बयान को हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के तौर पर देखा गया.

योगी पहले भी चुनाव प्रचार के दौरान वोटों के लिए हिंदुत्व का सहारा लेते रहे हैं.

जो हल चलाए उसकी जमीं हो , ये फैसला हो आज हो यहीं हो ..मो . अजीज को विनम्र श्रद्धांजलि


गानों की दुनिया का अज़ीम सितारा था,मोहम्मद अज़ीज़ प्यारा था 

काम की व्यस्तता के बीच हमारे अज़ीज़ मोहम्मद अज़ीज़ दुनिया को विदा कर गए। मोहम्मद रफ़ी के क़रीब इनकी आवाज़ पहचानी गई लेकिन अज़ीज़ का अपना मक़ाम रहा। अज़ीज़ अपने वर्तमान में रफ़ी साहब के अतीत को जीते रहे या जीते हुए देखे गए। यह अज़ीज़ के साथ नाइंसाफ़ी हुई। मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ बंद गले की थी मगर बंद गली से निकलते हुए जब चौराहे पर पहुँचती थी तब सुनने वाला भी खुल जाता है। एक बंद गिरह के खुल जाने की आवाज़ थी मोहम्मद अज़ीज़ की। यहीं पर मोहम्मद अज़ीज़ महफ़िलों से निकल कर मोहल्लों के गायक हो जाते थे। अज़ीज़ अज़ीमतर हो जाते थे।

एक उदास और ख़ाली दौर में अज़ीज़ की आवाज़ सावन की तरह थी। सुनने वालों ने उनकी आवाज़ को गले तो लगाया मगर अज़ीज़ को उसका श्रेय नहीं दिया। अपनी लोकप्रियता के शिखर पर भी वो गायक बड़ा गायक नहीं माना गया जबकि उनके गाने की शास्त्रीयता कमाल की थी। अज़ीज़ गा नहीं सकने वालों के गायक थे। उनकी नक़ल करने वाले आपको कहीं भी मिल जाएँगे। उनकी आवाज़ दूर से आती लगती है। जैसे बहुत दूर से चली आ रही कोई आवाज़ क़रीब आती जा रही हो। कई बार वे क़रीब से दूर ले जाते थे।

फिल्म ‘सिंदूर’ के गाने में लता गा रही हैं। पतझड़ सावन बसंत बहार। पाँचवा मौसम प्यार का, इंतज़ार का। कोयल कूके बुलबुल गाए हर इक मौसम आए जाए। गाना एकतरफ़ा चला जा रहा है। तभी अज़ीज़ साहब इस पंक्ति के साथ गाने में प्रवेश करते हैं। ‘ लेकिन प्यार का मौसम आए। सारे जीवन में एक बार एक बार।’ अज़ीज़ के आते ही गाना दमदार हो जाता है। जोश आ जाता है। गाने में सावन आ जाता है।

चौंसठ साल की ज़िंदगी में बीस हज़ार गाने गा कर गए हैं।
उनके कई गानों पर फ़िदा रहा हूँ। ‘मरते दम तक’ का गाना भी पसंद आता है। छोड़ेंगे न हम न तेरा साथ, ओ साथी मरते दम तक। सुभाष घई की फ़िल्म राम लखन का गाना माई नेम इज़ लखन उस दौर को दमदार बनाया गया था। अनिल कपूर को इस गाने ने घर घर में दुलारा बना दिया। मोहम्मद अज़ीज़ इस गाने में अनिल कपूर में ढल गए थे। यह उनके श्रेष्ठतम गानों में से एक था।

मोहम्मद अज़ीज़ को काग़ज़ पर सामान्य गीत ही मिले लेकिन उन्होंने अपने सुरों से उसे ख़ास बना दिया। और जब ख़ास गीत मिले उसे आसमान पर पहुँचा दिया। महेश भट्ट की फिल्म ‘नाम’ का गाना याद आ रहा है। ये आँसू ये जज़्बात, तुम बेचते हो ग़रीबों के हालात बेचते हो अमीरों की शाम ग़रीबों के नाम। मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ ही उस वक़्त के भारत के कुलीन तबक़ों को चुनौती दे सकती थी। बहुत ख़ूब दी। उनकी आवाज़ की वतनपरस्ती अतुलनीय है। आप कोई भी चुनावी रैली बता दीजिए जिसमें ‘कर्मा’ फ़िल्म का गाना न बजता हो। रैलियों का समाज ही बँधता है मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ से।’ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हमवतन हमनाम हैं जो करें इनको जुदा मज़हब नहीं इल्ज़ाम है। हम जीयेंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है, जाँ भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए ।’

हमने हिन्दी प्रदेशों की सड़कों पर रात-बिरात यहाँ वहाँ से निकलते हुए अपनी कार में मोहम्मद अज़ीज़ को ख़ूब सुना है। उनके गानों से हल्का होते हुए गाँवों को देखा है, क़स्बों को देखा है। तेज़ी से गुज़रते ट्रक से जब भी अज़ीज़ की आवाज़ आई, रगों में सनसनी फैल गई। अज़ीज़ के गाने ट्रक वालों के हमसफ़र रहे। ढाबों में उनका गाना सुनते हुए एक कप चाय और पी ली। उनका गाया हुआ बिगाड़ कर गाने में भी मज़ा आता था। फिल्में फ्लाप हो जाती थीं मगर अज़ीज़ के गाने हिट हो जाते थे।



विनोद खन्ना अभिनीत ‘सूर्या’ का गाना सुनकर लगता है कि कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो है। इस गाने को सुनते हुए अक्सर लगता रहा कि तमाम तकलीफ़ों को मिटाने ‘सूर्या’ आ रहा है। सूर्या के आते ही सब ठीक हो जाएगा। नाइंसाफ़ी से लड़ते रहना है। सुबह होगी। बाद की पढ़ाई ने समझा दिया कि मसीहा कभी नहीं आता। किसी एक के आने से सब ठीक नहीं होता है। यह सच है कि मैंने ‘सूर्या’ के इस गाने को असंख्य बार सुना है। सोचता रहता हूँ कि मुंबई के गीत लिखने वालों ने कितनी ख़ूबी से ऐसे गाने पब्लिक स्पेस में अमर कर दिए। इस गाने को आप किसी किसान रैली में बजा दीजिए, फिर असर देखिए।

जो हल चलाए, उसकी जमीं हो 
ये फ़ैसला हो, आज और यहीं हो
अब तक हुआ है,पर अब न होगा
मेहनत कहीं हो दौलत कहीं हो
ये हुक्म दुनिया के नाम लेकर आएगा सूर्या
एक नई सुबह का पैग़ाम लेकर आएगा सूर्या
आसमां का धरती को सलाम लेकर आएगा सूर्या

अज़ीज़ साहब हम आपके क़र्ज़दार हैं। आपके गानों ने मुझे नए ख़्वाब दिए हैं। लोग कहते थे कि आपकी आवाज़ लोकल है। शुक्रिया आपके कारण मैं लोकल बना रहा। मुझे इस देश के गाँव और क़स्बे आपकी आवाज़ के जैसे लगते हैं। दूर से क़रीब आते हुए और क़रीब से दूर जाते हुए। हिन्दी फ़िल्मों के गाने न होते तो मेरी रगों में ख़ून नहीं दौड़ता। मैं आपको आपके तमाम चाट गानों के लिए भी सराहता हूँ। आपने कई चाट गानों को सुनने लायक बनाया। कई गानो को नहीं सुने जा सकने लायक भी गाया। राम अवतार का एक गाना झेला नहीं जाता है। 'फूल और अंगारे' का गाना आज भी सुनकर हँसता हूँ और आपको सराहता हूँ।

तुम पियो तो गंगाजल है ये
हम पीये तो है ये शराब
पानी जैसा है हमारा ख़ून 
और तुम्हारा ख़ून है गुलाब
सब ख़्याल है सब फ़रेब है
अपनी सुबह न शाम है
तुम अमीर हो ख़ुशनसीब हो
मैं ग़रीब हूँ बदनसीब हूँ
पी पी के अपने ज़ख़्म सीने दो 
मुझको पीना है पीने दो
मुझको जीना है जीने दो 

मोहम्मद अज़ीज़ मेरे गायक हैं। रफ़ी के वारिस हैं मगर रफ़ी की नक़ल नहीं हैं।  हालांकि उनमें रफ़ी की ऊँचाई भी थी लेकिन वे उन अनाम लोगों की ख़ातिर नीचे भी आते थे जिनकी कोई आवाज़ नहीं थी। अज़ीज़ के कई गानों में अमीरी और ग़रीबी का अंतर दिखेगा। हम समझते हैं कि गायक को गाने संयोग से ही मिलते हैं फिर भी अज़ीज़ उनके गायक बन गए जिन्हें कहना नहीं आया। जिन्हें लोगों ने नहीं सुना। उन्हें अज़ीज़ का इंतज़ार था और अज़ीज़ मिला। आपने हिन्दी फ़िल्मों के गानों का विस्तार किया है। नए श्रोता बनाए। आप चले गए। मगर आप जा नहीं सकेंगे। ‘आख़िर क्यों’ का गाना कैसे भूल सकता हूँ

एक अंधेरा लाख सितारे
एक निराशा लाख सहारे
सबसे बड़ी सौग़ात है जीवन
नादां है जो जीवन से हारे 
बीते हुए कल की ख़ातिर तू
आने वाला कल मत खोना
जाने कौन कहाँ से आकर
राहें तेरी फिर से सँवारे 

अलविदा अज़ीज़। आपकी बनाई रविशों पर चलते हुए हम तब भी गुनगुनाया करेंगे जब आप मेरे सफ़र में नहीं होंगे। जब भी हम अस्सी और नब्बे के दशक को याद करेंगे, अज़ीज़ साहब आपको गुनगुनाएँगे। आपको सुनते रहेंगे। आपका ही तो गाना है। ‘देश बदलते हैं वेष बदलते नहीं दिल बदलते नहीं दिल, हम बंज़ारे।’ हम बंज़ारों के अज़ीज़ को आख़िरी सलाम।

आलेख वस्तुतः “रवीश कुमार” NDTV सर का है 

Tuesday, November 27, 2018

पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का निर्णय लेकर केजरीवाल ने मोदी सरकार को डाला परेशानी में

                               एक 👁️ नजर


आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए दिल्ली विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जाएगा.

नई दिल्ली: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच जारी तनातनी और बढ़ सकती है. दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि वह इसके लिए गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखेंगे. आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख केजरीवाल ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए दिल्ली विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जाएगा 


उन्होंने कल दिल्ली के रामलीला मैदान में ऑल टीचर्स इम्पलॉय वेलफेयर एसोसिएशन (ATEWA) को संबोधित करते हुए कहा, ''बिल को मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. हम इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार से लड़ेंगे. हम पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखेंगे.'' दरअसल, कई सरकारी अधिकारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के लिए मांग उठायी है. उनका कहना है कि नई पेंशन स्कीम से फायदा कम और घाटा ज्यादा है.



अरविंद केजरीवाल ने कहा, ''सरकारी कर्मचारियों में यह शक्ति है कि वह देश की सरकार को बदल सकते हैं. मैं केंद्र सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं कि अगर उसने तीन महीने के भीतर कर्मचारियों की मांगों को नहीं मानी तो ये उन्हें 2019 में उखाड़ फेकेंगे.''


इस मौके पर दिल्ली के आप नेता और सांसद संजय सिंह ने कहा कि अगर हमारे देश में 40 दिन तक विधायक, सांसद रहने वाले लोगों को ज़िन्दगी भर पेंशन मिलती है तो 40 साल काम करने वाले कर्मचारी को क्यों नहीं? पेंशन कर्मचारियों का हक़ है, हम इसे दिलवाकर ही दम लेंगे.


क्या है अंतर?
आपको बता दें कि 2004 में केंद्र ने नई पेंशन स्कीम पेश किया था. इसके तहत कर्मचारियों को अपने मासिक वेतन से पैसा पेंशन स्कीम में देना होता है और इतना ही सरकार भी स्कीम में पैसा देती है. इस पैसे का फिर विभिन्न निवेश योजनाओं में उपयोग किया जाता है. लेकिन पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को पैसा नहीं देना होता था.
सड़क पर एक आम आदमी से बात करते केजरीवाल

अब कर्मचारियों को वेतन, महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत कटता है और 60 की उम्र में जमा राशि का 60 फीसदी मिलता है जो राशि मिलती है उस पर टैक्स लगता है. बाकी 40 फीसदी लंबी अवधि के निवेश में जाता है. पुरानी पेंशन में आधा वेतन मिलता था.


पुरानी पेंशन सरकार देती है. नई पेंशन बीमा कम्पनी देगी. नई पेंशन योजना में पारिवारिक पेंशन को समाप्त कर दिया गया है. पुरानी पेंशन पाने वालों के लिए रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी मिलता है. लेकिन नई पेंशन स्कीम में यह सुविधा नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम में ब्याज दर निश्चित है लेकिन नई पेंशन स्कीम पूरी तरह शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर आधारित है.




मुजफ्फरपुर शेल्टर होम पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवर , पॉस्को एक्ट में नहीं हुआ FIR तो होगी सरकार पर कार्यवाही

शेल्‍टर होम मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पूरे मामले में राज्‍य का रवैया बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण, अमानवीय और लापरवाह है. सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में मौजूद मुख्‍य सचिव से पूछा कि अगर अपराध हुआ था तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्‍सो एक्‍ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्‍यों नहीं किया गया.



 सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर बुधवार दो बजे सुनवाई करेगा.कोर्ट ने कहा, 'आप लोग (बिहार सरकार) कर क्या रहे हैं? यह शर्मनाक है. किसी बच्चे के साथ कुकर्म होता है और आप कुछ नहीं कहते? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है. हमें बताया गया था कि इस मामले को गंभीरता से देखा जाएगा, क्या यह गंभीरता है? हम जब भी इस मामले की फाइल पढ़ते हैं, दुख होता है. हर मामले की जांच क्यों नहीं हो रही है? पीड़ित बच्चे क्या इस देश के नागरिक नहीं हैं?'


कोर्ट ने कहा, 'अगर हमें मालूम चला कि रिपोर्ट में धारा 377 या पॉक्सो एक्ट के तहत कोई अपराध है और आपने एफआईआर दर्ज नहीं की, तो हम सरकार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.'


Monday, November 26, 2018

बंदी दाता छोड़ साहिब गुरुद्वारा , पुरातत्व के साथ अनुकरणीय संदेश



ग्वालियर का बंदी दाता छोड़ गुरुद्वारा शांति का मार्ग है। पहाड़ी रास्तों से गुज़रते वक्त आप ग्याहरवाँ सदी की शिल्प कला से परिचित होते हैं। बेहद सुन्दर। शहर से हंगामे से कटा हुआ है। बंदी दाता छोड़ साहिब छठे गुरु श्री हरगोविंद सिंह जी को कहा जाता है। 



जहागींर के समय दिल्ली आए तो ख़ूब संवाद हुआ। दिल्ली से आगरा की तरफ़ जहांगीर के साथ शेर के शिकार पर निकले तो जहांगीर को बचाया। फिर कहानी ऐसी घूमी की जहांगीर ने उन्हें क़ैद कर दिया। उस क़िले में पचास से अधिक राजा बंद थे। 


श्री हरगोविन्द सिंह जी को रिहा करने का आदेश होता है। अकेले रिहा होने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि सारा क़ैदियों को रिहा किया जाए। अंत में शर्त मान ली जाती है मगर एक शर्त जोड़ दी जाती है , जितने लोग आपका कपड़ा पकड़ कर बाहर आ सकते हैं, उन्हें ही रिहा किया जाएगा। अंत में उनके कपड़े से गाँठ बनती है और उसे पकड़ कर पचास से अधिक राजा रिहा होते हैं। गुरू साहिब का नाम पड़ता है बंदी दाता छोड़ साहिब। 




इस तस्वीर को देखिए। बाहर आते हुए छठे गुरु के आगे सब झुके हुए हैं। क़िले का हथियारबंद प्रहरी भी सर झुकाए खड़ा है। बग़ल में सन्यासी भी सर झुकाए खड़े हैं। मैंने पूरी कहानी नहीं लिखी है। इसलिए नहीं लिखी है कि कुछ आप भी पता करें। जानने के रोमांच से सुंदर कुछ नहीं होता


Sunday, November 25, 2018

जो भी जनता के हक की बात करते हैं उसके पीछे CBI लगा दी जाती है - रघुवंश


राजद के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने आज कहा कि लालू प्रसाद को जानबूझ कर साजिश के तहत परेशान किया जा रहा है. यही वजह है कि उन्‍हें बाहर नहीं भेजा जा रहा है. ये बातें आज रघुवंश प्रसाद सिंह ने रांची के रिम्‍स हॉस्‍पीटल में राजद सुप्रीमो से मुलाकात के बाद कही


उन्‍होंने कहा कि लालू प्रसाद ठीक नहीं है. उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ है. उनकी किडनी में भी परेशानी है, जिसके कारण चलने फिरने में दिक्कत हो रही है. उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है. लेकिन सरकार एक साजिश के तहत उन्हें बाहर नहीं भेजा जा रहा है



उन्‍होंने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को भी जमकर कोसा और उन्‍हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी बताया. कहा – जो लोग भी जनता की बात करते हैं उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी की कार्रवाई शुरू करवा दी जाती है


इस मामले में पूर्व उपमुख्‍यमंत्री और राजद के युवा नेता तेजस्‍वी यादव ने भी निशाना साधा था और कहा था कि उस केंद्रीय मंत्री का नाम सार्वजनिक किया जाए जो CBI जैसी स्वायत्त संस्था में हस्तक्षेप कर हमारे केस संबंधित फ़ाइल अपने घर मंगवाता था. CBI निदेशक से मिलना चाहता था. CBI के उच्च अधिकारी को निर्देश देता था. चार्जशीट दाख़िल करने और गिरफ़्तारी में रुचि ले रहा था ?


Thursday, November 22, 2018

बिहार में बहार है - नीतीशे कुमार है



एक्सिस बैंक के कर्मी से 90 लाख की लूट, हथियार के बट से मारकर कर्मी को किया घायल

मुजफ्फरपुरः अपराधियों ने एक्सिस बैंक का 90 लाख रुपए से अधिक का पैसा लूट लिया है। विरोध करने पर अपराधियों ने बैंककर्मी को हथियार के बट से मारकर घायल कर दिया। घटना मुजफ्फरपुर जिले के जैतपुर ओपी थाना क्षेत्र के पोखरैरा की है। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंच रही है




Wednesday, November 21, 2018

ATM सेवा का उपयोग करने वालों के लिए बुरी खबर


नई दिल्ली अगर आप एटीएम के जरिए पैसा निकालना पसंद करते हैं तो आपको आने वाले समय में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। एटीएम इंडस्ट्री की संस्था दि कॉन्फिडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री (CATMi) ने चेताते हुए कहा है कि भारत में काम करने वाली 2.38 लाख एटीएम मशीनों में से करीब आधी मार्च 2019 तक काम करना बंद कर सकती हैं।

बॉडी की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक बैंक एटीएम का बंद होना हजारों रोजगार को प्रभावित करेगा। साथ ही यह सरकार के वित्तीय समावेशन के प्रयासों पर भी असर डालेगा। इसने कहा, "एटीएम सेवा देने वाली कंपनियों को मजबूरन 1.13 लाख एटीएम को देशभर में मार्च 2019 तक बंद करना पड़ सकता है। इसमें 1 लाख ऑफ साइट एटीएम और 15 हजार व्हाइट लेबल एटीएम हैं। उद्योग एक टिपिंग प्वाइंट पर पहुंच गया है।" 

जितने भी एटीएम बंद किए जा सकते हैं उनमें से अधिकांश गैर शहरी इलाकों में होंगे। इससे सरकार के वित्तीय समावेशन के प्रयासों को झटका लग सकता है क्योंकि लाभार्थी एटीएम मशीन के जरिए अपने खातों में आने वाली सरकारी सब्सिडी को निकालते हैं

इंडस्ट्री बॉडी का कहना है कि हाल ही में एटीएम के हार्ड वेयर और सॉफ्टवेयर अपग्रेड को लेकर जो नियम कानून आए हैं इस कारण इन एटीएम को चलाना मुश्किल हो जाएगापरिणामस्वरूप इनको बंद किया जा सकता है। CATMi के मुताबिक सिर्फ नई कैश लॉजिस्टिक और कैसेट स्वैम मेथड में बदलाव करने से 3000 करोड़ का खर्च आएगा

Tuesday, November 20, 2018

छत्तीसगढ़ में पीठासीन पदाधिकारी के घर बरामद हुआ सीलबंद EVM , निलंबित


कोरिया: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान वाले दिन यानी 20 नवंबर को एक पीठासीन अधिकारी के घर से दो ईवीएम बरामद हुई है. राज्य के कोरिया ज़िले के चिरमिरी डोमनहिल में पीठासीन अधिकारी वेद प्रकाश मिश्रा के घर से सोमवार रात दो ईवीएम ज़ब्त किए जाने की जानकारी मिली है.


खबर के मुताबिक पीठासीन अधिकारी ने अपने पास दो ईवीएम मशीन रखी हुई थी. ईवीएम पूरी तरह से सीलबंद है किंतु यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर ईवीएम पीठसीन अधिकारी के घर क्यों रखी गई थी.


पीठासीन अधिकारी वेद प्रकाश मिश्रा चिरमिरी डोमनहिल के गोदरी पारा में पदस्थ थे



चुनाव आयोग ने दोनों ईवीएम को जब्त कर खड़गवां तहसील में रखा है. ऐसा बताया जा रहा है कि पीठासीन अधिकारी मशीनों को जमा करने की बजाय उसे अपने घर ले गए थे.


 ख़बर के अनुसार, पुलिस को एक कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा शिकायत मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने अधिकारी के घर दबिश देकर दोनों ईवीएम को बरामद कर अपने क़ब्ज़े में ले लिया.



पुलिस ने घटना की जानकारी चुनाव आयोग को दी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने अधिकारी से पूछताछ कर उसे निलंबित कर दिया है


BJP की महिला नेत्री ने किया बड़ा खुलासा ...कितनी नीचे गिर गई भाजपा 



अजित डोभाल ने CBI जाँच में दखल करते हुए भ्रष्टाचारी को बचाया



छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के मामले की सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में एक नया मोड़ आ गया है। सोमवार को सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक याचिका दायर कीइस याचिका में उन्होंने मोदी सरकार में कोयला एवं खदान राज्य मंत्री हरिभाई पार्थीभाई पटेल पर मोईन कुरैशी मामले में करोड़ों रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया 



सिन्हा की याचिका के मुताबिक, गुजरात से सांसद हरिभाई पार्थीभाई को अहमदाबाद के किसी विपुल नाम के शख्स द्वारा पैसे दिए गए थे। वेबसाइट ‘द वायर’ ने इस याचिका में लगाए आरोपों को लेकर हरिभाई पार्थीभाई को कुछ सवाल भेजे थे, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।इसके अलावा मनीष कुमार सिन्हा ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के कथित तौर पर मोईन कुरैशी मामले में गिरफ्तार भाईयों मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद से नजदीकी संबंध हैं


उनकी याचिका में साफ तौर यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई के विशेष निदेशक और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच के एक महत्वपूर्ण मौके पर डोभाल ने हस्तक्षेप किया, ताकि उनके मोबाइल फोन सबूत के तौर पर जब्त न किए जाएं। सिन्हा ने दावा किया कि उनके व्हाट्सएप संदेशों में उनके खिलाफ कई सबूत थे। यहां तक कि डोभाल ने अस्थाना के आवास में की जा रही तलाशी अभियान को भी रोकने के निर्देश दिए थे


सिन्हा ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि रिश्वत के लेन-देन में शामिल उद्योगपति सना सतीश बाबू की मुलाकात सीवीसी केवी चौधरी से भी हुई थी और उस मुलाकात में मोईन कुरैशी मामले की चर्चा की गई थी। इसके बाद सीवीसी ने राकेश अस्थाना को बुलाकर इसके बारे में पूछा था। ‘द वायर’ ने केवी चौधरी से जब इस मामले के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इसे लेकर मीडिया से बात करना सही नहीं है 

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