Wednesday, October 31, 2018

राजस्थान चुनाव के लिए कांग्रेस ने इन नामों पर लगाई मोहर , बाकी नामों की घोषणा 5 नवंबर को होगी


कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री सी पी जोशी और गिरिजा व्यास के नामों को मंजूरी दे दी है। ये नाम कांग्रेस के उन 90 उम्मीदवारों में से हैं जिन्हें केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा मंजूरी दे दी गयी है। हालांकि कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि नामों की घोषणा सही समय पर की जाएगी, इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है। राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष साचिन पायलट ने संकेत दिया है कि शेष सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा 5 नवंबर, 2018 की बैठक में होगी।


 सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा जिन नामों को मंजूरी दे दी गई है, उनमें विधायकों और मंत्रियों सहित कुछ बड़े नेताओं के नामों को शामिल किया गया हैपूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री सी पी जोशी, गिरिजा व्यास, लाल चंद्र कटारिया, राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता रामेश्वर दुडी और पूर्व लोकसभा सांसद हरीश चौधरी का नाम सूची में शामिल है


नई दिल्ली में हुई सीईसी बैठक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत समते कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया था। असल में कांग्रेस के नेताओं के बीच समानता की कमी है। यदि पूर्व सांसदों और नेताओं ने लगातार दो बार चुनाव हार जाते हैं तो उन्हें टिकट देने को लेकर संशय बना रहता है। हालांकि, कई नेताओं के नामों पर विचार चल रहा है


राखी सावंत ने तनुश्री पर ठोका 25 पैसे के मानहानि का मुकदमा



राखी सांवत ने तनुश्री दत्ता के खिलाफ मानहानि का केस किया है। दोनों अभिनेत्रियां काफी समय से एक-दूसरे के खिलाफ बोल रही है लेकिन अब ये मामला कोर्ट में भी पहुंच गया है। राखी ने तनुश्री को 25 पैसे की मानहानि का नोटिस भेजा है। राखी का कहना है कि तनुश्री ने उन्हें बड़बोला और पब्लिसिटी का भूखा कहा था, जिससे उनकी छवि खराब हुई।  


इसलिए किया 25 पैसे का केस :-

राखी ने कहा है कि तनुश्री के माता-पिता को पैसा देना होगा और वो उन पर बोढ नहीं डालना चाहतीं इसलिए 25 पैसे का नोटिस भेजा है। राखी का कहना है कि तनुश्री ने मुझ गलत आरोप लगाए हैं, मेरी छवि खराब की है। इसके जवाब में राखी सावंत ने महाराष्ट्र के दिंडोशी कोर्ट में तनुश्री दत्ता के खिलाफ 25 पैसे का मानहानि का केस किया है। राखी का कहना है कि वो इसके बाद क्रिमिनल डिफेमेशन का केस भी करेंगी।

राखी सावंत और तनुश्री 


राखी सावंत इससे पहले तनुश्र को लेस्बियन, ड्रग एडिक्ट कह चुकी हैं और उन पर अपने रेप का आरोप भी लगा चुकी हैं। राखी सावंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अब ये कहना काफी जरूरी हो गया है। मैं बताती हूं तनुश्री ने मेरा रेप किया है वो भी एक बार नहीं बल्कि कई बार, मेरे साथ अत्याचार हुआ है। इस पर तनुश्री ने राखी को पैसों और सेक्स का भूखी बेवकूफ बताया था। तनुश्री ने कहा था कि क्या राखी ने अपने दिमाग पर भी प्लास्टिक सर्जरी करा ली है?



Tuesday, October 30, 2018

अमित शाह के बाद अब हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने उड़ाया सुप्रीम कोर्ट का मजाक

हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज

ये भी पढ़ें :- मोदी जी ने सबकी बैंड बजा दी

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की जल्द सुनवाई करने की मांग को नकार देने के बाद कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं. इसी कड़ी में हरियाणा के मंत्री अनिल विज का नाम भी आ गया है जिन्होंने कोर्ट पर तंज कसते हुए उसे 'महान' बताया है. उन्होंने कहा कि न्यायालय मुंबई आतंकी हमले के दोषी याकूब मेमन की फांसी को टालने के अनुरोध पर देर रात भी सुनवाई कर सकता है.

ये भी पढ़ें :- राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवादित मामले पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू https://eknazartezkhabar.blogspot.com/2018/10/blog-post_46.html



अनिल विज ने ट्वीट कर इस वाक्य को दो बार लिखा,सुप्रीम कोर्ट महान है.’ उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट महान है. चाहे तो 29 जुलाई 2014 को 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा टालने के लिए कोर्ट का दरवाजा रात को खोल दे और चाहे तो रा म मंदिर जिसके लिए करोड़ों भारतवासी टकटकी लगाए इंतजार कर रहे हों, उसको तारीख दे दे, सुप्रीम कोर्ट महान है.’


Monday, October 29, 2018

ब्राजील में शुरु होनेवाले विनाशकारी परिदृश्य पर रविश कुमार का आलेख




ब्राज़ील में सांबा नहीं तांडव होगा,बोलसोनारो बोलसोनारो होगा

बोलसोनारो। ब्राज़ील के नए राष्ट्रपति। ख़ुद को चीली के कुख़्यात तानाशाह अगुस्तो पिनोशे का फ़ैन कहने हैं। वैसे तानाशाह के आगे कुख़्यात लगाने की ज़रूरत नहीं होती। बड़े शान से कहा था कि पिनोशे को और अधिक लोगों को मारना चाहिए था। यह भी चाहते हैं कि अपराधियों को देखते ही पुलिq स गोली मार दे। अपने देश में 1964 से 1985 तक सैनिक शासन की तारीफ़ करते हैं। कह चुके हैं कि लोकतंत्र से राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान नहीं होता है।



स्वागत बोलसोनारोब्राज़ील में नवउदारवाद के खंडित ख़्वाबों का नाच होगा। नफ़रतों का सांबा डाँस। अर्थसंकट के तूफ़ान से गुज़र रहे ब्राज़ील में बेरोज़गारों के ढेर लग गए हैं। मुद्रा का भाव गिरते गिरते गर्त में जा चुका है। लोगों ने नव उदारवाद की नीतियों को नहीं बल्कि लोकतंत्र को ही ज़िम्मेदार माना है। उन्हें लगता है कि बस भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाए तो सब ठीक हो जाएगा और यह काम तथाकथित ईमानदार और मज़बूत नेता ही कर सकेगा। इसलिए लोकतंत्र को ख़त्म करने की बात करने वालों को तालियाँ मिल रही हैं। नव-उदारवाद अब भी माला पहने तख़्त पर बैठा है। विकास का ख़्वाब विनाश की चाहत में बदल रहा है।

बोलसोनारो के वचन ख़तरनाक है। चुनाव प्रचारों में कह चुके हैं कि ब्राज़ील के मूल जनजाति लोग किसी क़ाबिल नहीं। बच्चा पैदा करने की भी अनुमति नहीं होनी चाहिए। यह ग़ुस्सा इसलिए है क्योंकि ब्राज़ील में ही आमेजॉन के घने जंगल। जैसे जंगल हैं भारत के छत्तीसगढ़ में। वैसे ही आमेजॉन के घने जंगलों पर लूट की निगाह गड़ी हुई है। अब जमकर लूटने के लिए संरक्षित जंगल ही बचे हैं। नए राष्ट्रपति इन इलाक़ों में घोर खनन और जंगलों के काटने की अनुमति की बात कर चुके हैं। आमेजॉन के जंगल क़ानून से संरक्षित हैं। देखते हैं कि क़ानून बदलते हैं या मूल बाशिंदों को ही मार देते हैं। उन्हें परजीवी यानी parasite बोल चुके हैं। भारत में भी अमित शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को टरमाइट यानी दीमक कहा था। अब इंसान या तो parasite होगा या termite होगा। दरअसल विकास और सत्ता के रास्ते आदमी कीड़े मकोड़े घोषित कर दिए जाएँगे। ताली बजाने वाले आदमियों की कमी नहीं होगी।

बोलसोनारो को ग़रीबी से भी नफ़रत है। उनकी नसबंदी की बात करते हैं। विदेशी एन जी ओ को भगाने की बात करते हैं ताकि पर्यावरण और वन संरक्षण के सवालों के उठने के रास्ते बंद कर दिए जाएँ। इसके लिए पेरिस समझौते से निकलने की बात कर चुके हैं जिसके तहत ब्राज़ील पर चालीस प्रतिशत से अधिक कार्बन उत्सर्जन घटाने की शर्त है। दुनिया इस बोलसेनारो से सहमी हुई है। इतना कठोर और घोर दक्षिणपंथी कोई नहीं है। दुनिया को नफ़रतों का नया बादशाह मिला है। इस्तक़बाल !

बोलसोनारो की जीत व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी की जीत है। यहाँ जिसके पास इंटरनेट है उसके पास व्हाट्स एप है। अफ़वाहों, नफ़रतों का बाज़ार गरम है। चुनाव प्रचार का अध्ययन करने वाले बताते हैं कि बोलसोनारो की असली ताक़त व्हाट्स एप है। सोशल मीडिया पर इनके समर्थकों के ख़ूँख़ार चरित्र का अध्ययन हो रहा है। काफ़ी कुछ भारत से मिलता जुलता है। सवाल करने पर गालियाँ और मार देने की बात होती है। बोलसोनारो ने टेलीविजन को लात मार दिया। अपने चुनावी विज्ञापन का बहुत कम हिस्सा चैनलों पर ख़र्च किया। मात्र आठ फ़ीसदी स्लॉट ही ख़रीदा। जब सितंबर में बोलसोनारो को किसी ने चाक़ू मारा तब वह अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा रहा। वहीं से फ़ेसबुक पर पोस्ट लिखता रहा। प्रचार करता रहा।

पहले दौर की जीत के बाद बोलसोनारो वही सब बकवास कर रहा है। सब मिल कर रहेंगे। ब्राज़ील सबका है। किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है। शासक को पता है अब सत्ता हाथ में है। बोलने की ज़रूरत नहीं रही। अब करने की जगह है। ख़ून को बहने के लिए शब्द की ज़रूरत नहीं होती है। पहले शब्द ही मरते हैं फिर आदमी मरता है और फिर ख़ून बहता है।

कुछ तो है कि दुनिया भर के लोगों के भीतर ख़ूनी चाहतें जवान हो रही हैं। लोग पिशाच बन रहे हैं और नेता नरपिशाच। उन्माद का बोलबाला है। अर्थव्यवस्थाओं में सिर्फ कुछ होने का भरोसा है। कुछ होने-जाने का दम नहीं बचा है। नया रास्ता मिल नहीं रहा है। लोग पुरानी सड़क को ही खोद रहे हैं। विकास को नया दोस्त चाहिए। दोस्त मिल नहीं रहा इसलिए अब आदमी आदमी का दुश्मन है। कभी माइग्रेंट दुश्मन है, कभी मुसलमान दुश्मन है, कभी यहूदी दुश्मन है। लोगों के लिए अब लोकतंत्र दुश्मन है। तानाशाही दोस्त है। हत्याओं के ख़्वाब देखे जा रहे हैं। बोल बोलसोनारो की जय !

इंडोनेशिया में प्लेन क्रैश , 188 लोग थे सवार , दिल्ली के भव्य तनेजा उड़ा रहे थे जहाज



नई दिल्‍ली/जकार्ता

 सुबह इंडोनेशिया से एक बुरी खबर लेकर आई जब लॉयन एयर का पैसेंजर जेट समंदर में क्रैश हो गया। इस जेट में 188 लोग सवार थे और इन सभी लोगों का क्‍या हुआ है, इस पर अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। इस हादसे के बाद अब भारत की नजरें भी आधिकारिक बयान पर हैं क्‍योंकि प्‍लेन के पायलट भारतीय थे। दिल्‍ली के भव्‍य सुनेजा इस प्‍लेन को उड़ा रहे थे जब यह दुर्घटना का शिकार हुआ। इस खबर के आने के बाद से ही भव्‍य का कुछ पता नहीं लग रहा है उनके परिवार की नजरें हर सेकेंड टीवी पर आ रही इससे जुड़ी खबरों पर टिकी हैं।

ये भी पढ़ें :- राकेश अस्थाना ने पुलिस वेलफेयर के 20 करोड़ रुपए भाजपा को चुनावी चंदे के रूप में दिए

मार्च 2011 में बने थे लॉयन एयर का हिस्‍सा

भव्‍य सुनेजा ने मार्च 2011 में लॉयन एयर का ज्‍वॉइन किया था जो कि इंडोनेशिया की लो कॉस्‍ट एयरलाइन सर्विस है। दिल्‍ली के मयूर विहार के रहने वाले सुनेजा जिस प्‍लेन के पायलट थे वह जावा समंदर में क्रैश हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनेता ने मयूर विहार के ही एल्‍कॉन पब्लिक स्‍कूल से पढ़ाई की थी। अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया की ओर से दी गई जानकारी में एक सीनियर अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि सुनेजा, भारत वापस लौटने के बारे में सोच रहे थे। इस अधिकारी ने बताया, 'जुलाई में हमारी बात हुई थी और वह काफी मृदुभाषी व्‍यक्ति थे। उनके पास बी737 के एक्‍सीडेंट से पहले एक्‍सीडेंट फ्री फ्लाइंग का अनुभव था। हम चाहते थे कि वह यहीं हमारे पास रहे क्योंकि उनका रिकॉर्ड काफी अच्‍छा था।' इस अधिकारी ने आगे कहा कि उन्‍होंने सिर्फ एक ही अनुरोध की थी उन्‍हें पोस्टिंग दिल्‍ली में चाहिए थी क्‍योंकि वह यहीं के रहने वाले थे



13 मिनट के अंदर हुआ हादसे का शिकार

लॉयन एयर को जो पैसेंजर जेट क्रैश हुआ है उसे जकार्ता वापस लौटने को कहा गया था। लेकिन 13 मिनट के अंदर ही जकार्ता से टेक ऑफ करने के बाद यह रडार से गायब हो गया। इंडोनेशिया की डिजास्‍टर एजेंसी के प्रवक्‍ता सुतोपो पुरवो नूग्रोहो ने मलबे की कुछ फोटोग्राफ ट्वीट की हैं। इन फोटोग्राफ में पूरी तरह से खत्‍म हो चुका एक मोबाइल फोन भी नजर आ रहा है। सर्च एंड रेस्‍क्‍यू एजेंसी के प्रवक्‍ता युसुफ लतीफ ने बताया कि अथॉरिटीज प्‍लेन की तलाश कर रही हैं। इस जेट का संपर्क भारतीय समयानुसार सुबह पांच बजे रडार से उस समय टूट गया जब यह पंगकल पिनांग के रास्‍ते में था। लतीफ ने न्‍यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि प्‍लेन समंदर में करीब 30 से 40 फीट गहरे में क्रैश हुआ है। इंडोनेशिया के सिविल एविएशन के महानिदेशक सिंदू रहायू ने बताया कि जेट में 178 व्‍यस्‍क, एक बच्‍चा और दो नवजात सवार थे। इसके साथ ही दो पायलट्स और पांच फ्लाइट अटेंडेंट सवार थे


राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवादित मामले पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू


विवादित राम मंदिर बाबरी मस्जिद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2010 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है




 सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया की 1994 का इस्माइल फारूकी फैसला जमीन विवाद को लेकर था हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले का फैसला साक्ष्यों के आधार पर होगा धार्मिक भावना के आधार पर नहीं 

यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के बीच सुनवाई कर रही 

Sunday, October 28, 2018

एक बार भारत में पत्रकारिता की तैयारी कर रहे छात्र कोलंबिया स्कूल ऑफ़ ज़र्नलिज्म जरुर जाइये ✍️The Real Hero Ravish Kumar

           

कोलंबिया स्कूल ऑफ़ ज़र्नलिज्म का एक सफ़र 

1912 में जब हम अपनी आज़ादी की लड़ाई की रूपरेखा बना रहे थे तब यहाँ न्यूयार्क में जोसेफ़ पुलित्ज़र कोलंबिया स्कूल ऑफ़ जर्नलिज़्म की स्थापना कर रहे थे। सुखद संयोग है कि 1913 में गणेश शंकर विद्यार्थी कानपुर में प्रताप की स्थापना कर रहे थे। तो ज़्यादा दुखी न हो लेकिन यह संस्थान पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। मोहम्मद अली, शिलादित्य और सिमरन के मार्फ़त हमने दुनिया के इस बेहतरीन संस्थान को देखा। यहाँ भारतीय छात्र भी हैं और अगर ज़रा सा प्रयास करेंगे तो आपके लिए भी दरवाज़े खुल सकते हैं। किसी भी प्रकार का भय न पालें बल्कि बेहतर ख़्वाब देखें और मेहनत करें। 


तो सबसे पहले हम इसके हॉल में घुसते हैं जहाँ 1913 से लेकर अब तक पढ़ने आए हर छात्रों के नाम है। मधु त्रेहन और बरखा दत्त यहाँ पढ़ चुकी हैं। और भी बहुत से भारतीय छात्रों के नाम है। पुलित्ज़र की प्रतिमा और उनका वो मशहूर बयान जिन्हें हर दौर में पढ़ा जाना चाहिए। आपके लिए हमने पुलित्ज़र पुरस्कार के मेडल की तस्वीर भी लगाई है। 




भारत में पत्रकारिता के दो से तीन अच्छे शिक्षकों को छोड़ दें तो किसी संस्थान में संस्थान के तौर पर कोई गंभीरता नहीं है। सवाल यहाँ संस्थान, संसाधन और विरासत की निरंतरता का है? मेरी बातों पर फ़ालतू भावुक न हो। यहाँ मैंने देखा कि पत्रकारिता से संबंधित कितने विविध विषयों पर पढ़ाया जा रहा है। प्रतिरोध की पत्रकारिता का पोस्टर आप देख सकते हैं। बचपन के शुरूआती दिनों की पत्रकारिता पर भी यहाँ संस्थान है। हिंसा क्षेत्रों में रिपोर्टिंग के दौरान कई पत्रकारों को मानसिक यातना हो जाती है। उन्हें यहाँ छात्रवृत्ति देकर बुलाया जाता है। उनका मनोवैज्ञैनिक उपचार भी कराया जाता है। यहाँ Dart centre for Journalism and Trauma है। खोजी पत्रकारिता के लिए अलग से सेंटर हैं। दुनिया के अलग अलग हिस्से से आए पत्रकार या अकादमिक लोग यहाँ प्रोफ़ेसर हैं। भारत के राजू नारीसेट्टी यहाँ पर प्रोफ़ेसर हैं। राजू ने ही मिंट अख़बार को स्थापित किया। 



यह क्यों बताया? इसलिए बताया कि हमारे संस्थान गोशाला हो चुके हैं जहाँ एक ही नस्ल की गायें हैं। वहाँ न शिक्षकों में विविधता है न छात्रों में। और विषयों की विविधता क्या होगी आप समझ सकते हैं। IIMC के छात्र अपने यहाँ journalism of resistance का अलग से कोर्स शुरू करवा सकते हैं। यह नहीं हो सकता तो journalism of praising Modi शुरू करवा सकते हैं। यह भी एक विधा है और काफ़ी नौकरी है। लेकिन पहले जोसेफ़ पुलित्ज़र ने लोकतंत्र और पत्रकारिता के बारे में जो कहा है, वो कैसे ग़लत है, उस पर एक निबंध लिखें। फिर देखें कि क्या उनकी बातें सही हैं? कई बार दौर ऐसा आता है जब लोग बर्बादी पर गर्व करने लगते हैं। उस दौर का भी जश्न मना लेना चाहिए ताकि ख़ाक में मिल जाने का कोई अफ़सोस न रहे। वैसे भारत विश्व गुरु तो है ही



इसके बाद अली ने हमें कुछ क्लास रूम दिखाए। एप्पल के विशालकाय कंप्यूटर लगे हैं। क्लास रूम की कुर्सियाँ अच्छा हैं। सेमिनार हॉल भी अच्छा है। झाँक कर देखा कि ब्राडकास्ट जर्नलिज़्म को लेकर अच्छे संसाधन हैं। यहाँ हमारी मुलाक़ात वाशिंगटन में काम कर रहे वाजिद से हुई। वाजिद पाकिस्तान से हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह मैं भारत में गोदी मीडिया का इस्तेमाल करता हूँ उसी तरह से पाकिस्तान में मोची मीडिया का इस्तेमाल होता है। यानी हुकूमत के जूते पॉलिश करने वाले पत्रकार या पत्रकारिता। 

गुज़ारिश है कि आप सभी तस्वीरों को ग़ौर से देखे। सीखें और यहाँ आने का ख़्वाब देखें। हिन्दी पत्रकारिता में  बेहतरीन छात्र आते हैं। वे यह समझें कि पत्रकारिता अध्ययन और प्रशिक्षण से भी समृद्ध होती है। भारत के घटिया संस्थानों ने उनके भीतर इस जिज्ञासा की हत्या कर दी है लेकिन फिर भी। मैंने उनके लिए यह पोस्ट लिखा है ताकि वे नई मंज़िलों की तरफ़ प्रस्थान कर सकें। अभी आपकी मंज़िल हिन्दू-मुस्लिम डिबेट की है। सत्यानाश की जय हो ।



Saturday, October 27, 2018

राकेश अस्थाना ने पुलिस वेलफेयर के 20 करोड़ रुपए भाजपा को चुनावी चंदे के रूप में दिए थे


राकेश अस्थानारिटायर्ड PSI का CBI को ई मेेल , अस्थाना का सबसे बड़वडोदरा. सीबीआई के दो उच्च पदस्थ अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच शीतयुद्ध चरम पर पहुंचने के बाद अब यह बात सामने आई है कि सूरत में अस्थाना ने पुलिस वेलफेयर के 20 करोड़ रुपए चुनावी फंड में दिए रिटायर्ड पीएसआई ने लगाया अस्थाना आरोप  
CBI के रिटायर्ड PSI ने CBI को भेजा मेल , राकेश अस्थाना पर लगाया गम्भीर आरोप

सूरत के रिेटायर्ड पीएसआई ने 23 अक्टूबर को सीबीआई को किए चौंकाने वाले ई मेल में बताया है कि अस्थाना ने पुलिस के वेलफेयर फंड से 20 करोड़ रुपए भाजपा को चुनावी चंदे के रूप में दिए थे। सूरत पुलिस के एकाउंट में सन् 2013-2015 के दौरान वे रुपए वापस नहीं आए थे। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। सूरत शहर के पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना का यह सबसे बड़ा घपला था



वेेलफेयर फंड के कागजात गुम
:
 रिटायर्ड पीएसआई के अनुसार पुलिस वेलफेयर के 20 करोड़ के ट्रांसफर के मामले में आयकर विभाग ने टीडीएस के भुगतान का नोटिस दिया था। इसके बाद कार्यालय से पुलिस वेलफेयर फंड के कागजात गुम हो गए। इसकी सूचना सूरत क्राइम ब्रांच में भी दी गई। ऑडिट विभाग की जानकारी में भी यह मामला लाया गया

RTI के तहत भी जानकारी नहीं दी गई
 शहर के आरटीआई एक्टिविस्ट शेख मोहम्मद, सोहेल मोहम्मद अमीन ने बताया कि इस संबंध में हमने 2015 में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी, पर हमें यह जानकारी नहीं दी गई


"बिहार में बहार” - ऑपरेशन रूम से रोगी का कटा टाँग लेकर कुत्ता फरार


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे के “लोकसभा क्षेत्र बक्सर सदर अस्पताल” से हतप्रभ करने वाली घटना सामने आई है .... 

ये भी पढ़ें :- मोदी जी ने सबकी बैंड बजा दी

सोमवार को बक्सर में श्रमजीवी एक्सप्रेस पर चढ़ते समय राम नाथ मिश्रा फिसल गए और वह बुरी तरह घायल हो गए ...जिसे GRP ने बक्सर सदर अस्पताल पहुंचाया , ऑपरेशन थियेटर में मिश्रा जी के क्षतिग्रस्त पैर को काटकर रखा गया , डॉक्टरों की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण कुत्ता वो कटा पैर लेकर भाग गया ....जब यह मामला डॉक्टरों को समझ आया तो कुत्ता की खोज में डॉक्टरों ने काफी कुत्ते वाली दिमाग और गधे वाली दौड़ लगाई .....लेकिन वो नहीं मिला और राम नाथ मिश्रा का पैर .....

ये भी पढ़ें :-  बिहार में अफसरशाही लालफिताशाही इस कदर हावी है कि..



जिम्मेदार कौन ??

बकलोल डॉक्टर , मंगल पांडेय (स्वास्थ मंत्री बिहार) ; विकास पुरुष नीतीश कुमार , मोदी सरकार या फिर वो कुत्ता जो पैर लेकर भागा .......या फिर सब हैं भागीदार ??


धूम धड़ाके के साथ हुई तारिक अनवर की घर वापसी

                   NCP छोड़ कांग्रेस का थामा हाथ
सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर 1999 में कांग्रेस से बगावत कर एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  (एनसीपी) का गठन करने वाले तारिक अनवर की घर वापसी हो गई है. उन्होंने आज सुबह कांग्रेस का दामन थाम लिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी में शामिल करवाया. तारिक अनवर पांच बार बिहार के कटिहार से सांसद रह चुके हैं.



एनसीपी की नींव रखने वाले तारिक अनवर ने पार्टी को अलविदा कह दिया था. अनवर ने एनसीपी छोड़ने के साथ-साथ लोकसभा से भी इस्तीफा दे दिया था. अनवर ने 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से बगावत कर शरद पवार के साथ एनसीपी बनाई थी.


अब रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की छुट्टी , नौसेना के पूर्व एडमिरल पर दिया आपत्तिजनक बयान

            पूर्व एडमिरल अरुण प्रकाश (फ़ाइल फ़ोटो)

 रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता का एक ट्वीट उसके लिए संकट बन गया। नौसेना के पूर्व चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश के ट्वीट पर प्रतिक्रिया जताते हुए प्रवक्ता ने बताया कि सेना के अधिकारी किस तरह सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं। हालांकि तीखी प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। वहीं, आर्मी पीआरओ कर्नल अमन आनंद को कार्यकारी आधिकारिक प्रवक्ता का चार्ज दे दिया गया।

 
ये भी पढ़ें :- मोदी जी ने सबकी बैंड बजा दी


असल में एक यूजर ने सेना की पश्चिमी कमान के आंतरिक वित्तीय सलाहकार की आधिकारिक कार के बोनट पर एक सैन्य ध्वज लगे होने की तस्वीर को ट्वीट किया था, जिसमें कार पर सेना के झंडे को लेकर सवाल उठाए गए थे। इसी ट्वीट पर पूर्व चीफ एडमिरल ने लिखा था, 'सेना कमांड के प्रतीकों का दुरुपयोग करने वाले इस व्यक्ति को प्रताड़ित करने और कड़ी फटकार लगाने की जरूरत है।' इसी ट्वीट के जवाब में रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता स्वर्णश्री राव राजशेखर ने पूर्व चीफ एडमिरल को जवाब देते हुए कहा, ‘जब आप सेना में अधिकारी थे, तब आपके घर में जवानों का दुरुपयोग नहीं हुआ? और उन फौजी गाड़ियों का क्या, जिन्हें आपके बच्चों को स्कूल छोड़ने और घर पहुंचाने के लिए प्रयोग किया गया। सरकारी वाहन पर मैडम की शॉपिंग और पार्टी के खर्चे को कैसे भूल सकते हैं? इसका खर्च कौन देगा?'


अथ श्री CBI कथा :- 70 साल में पहली बार “CBI" का हाल बेहाल

विवाद बढ़ने पर ट्वीट हटाया 

विवाद बढ़ता देख रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और सफाई देते हुए कहा, यह ट्वीट अनजाने में किया गया था और इसके लिए गहरा खेद है। लेकिन माफी मांगने में देर हो चुकी थी, क्योंकि ट्वीट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके थे। इसके बाद प्रवक्ता पर कार्रवाई करते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में पूर्व सैनिकों के साथ ही राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने भी रक्षा मंत्रालय पर निशाना साधते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और लिखा कि प्रवक्ता को अफसरों से इस तरह बात करने का अधिकार नहीं है। इसके साथ एक बार फिर रक्षा मंत्रालय में सिविलियन और सैन्य अफसरों के बीच खाई साफ सामने आ गई है। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब सेना के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय में तैनात नौकरशाह और असैनिक अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जताई हो। 

Friday, October 26, 2018

अथ श्री CBI गाथा :- सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा नियुक्त CBI चीफ नागेश्वर राव पर लगाया लगाम


                   
नव नियुक्त अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव


अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर नागेश्वर राव पर लग गई है सुप्रीम कोर्ट की नकेल.

 शुक्रवार को चीफ जस्टिस की बेंच ने जो सख्त आदेश दिए हैं उसमें सबसे ज्यादा असर नागेश्वर राव पर ही पड़ने वाला है. उन्हें दो बड़े झटके मिले हैं. अब कोई तबादला या पोस्टिंग नहीं और सिर्फ रुटीन काम ही करेंगे जैसे छुट्टियां मंजूर करना, टूर- ट्रैवल खर्चों की फाइल में दस्तखत करना वगैरह वगैरह.


सुप्रीम कोर्ट ने राव को एक और टेंशन दे दिया है. उन्हें मंगलवार रात दो बजे सीबीआई हैडक्वार्टर में पहुंचकर चार्ज संभालने के बाद जो जो फैसले किए हैं वो सब कुछ सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में करके देना है. जिसे सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस वाली बेंच परखेगी और फैसला लेगी.



अंतरिम डायरेक्टर ने अब तक क्या क्या किया ??

अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभालने के बाद नागेश्वर राव का हर घंटा बेहद व्यस्तता वाला रहा है. वैसे उन्हें काम संभाले सिर्फ 56 घंटे हुए हैं. पर 23 अक्टूबर को रातभर जागने के बाद तड़के दो बजे वो सीबीआई हैडक्वार्टर पहुंचे. फिर ताबड़तोड़ तबादलों की फाइल में दस्तखत करने पड़े. पहले घंटे में ही उन्होंने 13 तबादले और पोस्टिंग कर डालीं.



आलोक वर्मा के करीबियों का तबादला
नागेश्वर ने सबसे पहले छांट छांटकर छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के करीबी अफसरों का तबादला शुरू किया. इस चक्कर में ऐसे अफसरों को तबादला भी हो गया जो स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ मामलों की जांच कर रहे थे.



वैसे तो सरकार के एक्शन से ऊपर से देखने में यही लगा कि झगड़ रहे आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना दोनों को जबरन छुट्टी में भेजा गया है. लेकिन जिन लोगों से अहम जिम्मेदारियां छिनी वो सभी आलोक वर्मा के करीबी माने जाते हैं.

अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की ताबड़तोड़ तबादला एक्सप्रेस की चपेट में दो तरह अफसर आए एक जिनसे अहम जिम्मेदारियां छीन ली गईं और दूसरे जिनको बड़ी जिम्मेदारियां मिल गईं. सभी ने बिना देरी किए इन्हें संभाल भी लिया है.

किसके तबादले हुए ??

सबसे अहम है राकेश अस्थाना के खिलाफ घूस कांड की जांच कर रहे डिप्टी एसपी ए के बस्सी को जनहित में दिल्ली से बोरिया बिस्तर समेट कर सीधा अंडमान (पोर्ट ब्लेयर) भेज दिया गया.

आलोक वर्मा के साथ बेहद अहम जांच कार्रवाई देख रहे ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी, ए के शर्मा को (मल्टी डिसिप्लनरी मॉनिटरिंग एजेंसी) MDMA यूनिट भेजे गए. ये एजेंसी राजीव गांधी की हत्या के पीछे बड़े षड़यंत्र की पड़ताल में बरसों से जुटी है.

डीआईडी मनीष कुमार सिन्हा को नागपुर रवाना कर दिया गया.

एडिशनल एसपी एस एस गुर्म को दिल्ली से जबलपुर भेज दिया गया

डीआईजी स्पेशल यूनिट अनीष प्रसाद को एडमिनिस्ट्रेशन में डाल दिया गया.

नई टीम जो अस्थाना मामले की जांच करेगी

अस्थाना के खिलाफ घूस और फिरौती कांड की जांच कर रही पूरी टीम ही बदल दी गई है. अब ये नई जांच टीम बनी है. इसी मामले में डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार सीबीआई हिरासत में हैं.

डीआईजी तरुण गौबा जिन्होंने व्यापम मामले की जांच भी की थी और अभी चंडीगढ़ में एंटी करप्शन ब्रांच में काम संभाल रहे थे.

ज्वाइंट डायरेक्टर मुरगेसन, जिन्होंने राम रहीम मामले की जांच की

एसपी सतीष डागर जो कोल घोटाले की जांच करने वाली टीम में भी थे.

रुटीन काम करेंगे राव
सीबीआई डायरेक्टर पॉलिसी डिसीजन लेंगे नहीं मतलब तबादला पोस्टिंग, जांच पर किसी तरह का नजरिया नहीं रखेंगे. तो क्या करेंगे. छुट्टियां मंजूर करना, टूर और ट्रैवल के खर्चों पर दस्तखत वगैरह काम करेंगे. दो हफ्ते तक उन्हें यही करना है. 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा कि उनका काम बदलेगा या नहीं.



मोदी जी ने सबकी बैंड बजा दी


                                               Photo Credit - NDTVKhabar.com

CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा से उनके अधिकार वापस लेकर छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीवीसी से अपनी जांच अगले दो हफ्ते में पूरी करने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.

वर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार की ओर से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. साथ ही अालोक वर्मा ने एम. नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी है.



चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच वर्मा की याचिका पर सुनवाई की.




दरअसल, ये मामला तब शुरू हुआ जब CBI ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और कई दूसरे अफसरों के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े मामले में घूस लेने के आरोप लगे. जिसके बाद इन लोगों पर FIR दर्ज की गई. इसके बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया. साथ ही सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छु्ट्टी पर भेज दिया. जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया





इंसान के भेजे की लाइब्रेरी देखी, 1927 का भेजा देखा ✍️ The Real Hero Ravish Kumar



ब्रेन लाइब्रेरी ; जो डॉ हार्वी कशिंग की याद में बनी है


भेजा मतलब ब्रेन

कशिंग सेंटर में जाते ही आप एक ऐसे जुनूनी डॉक्टर की आभा से घिर जाते हैं जो 1939 में इस दुनिया से जा चुका था। हार्वी कशिंग की तमन्ना थी कि मेडिकल के छात्रों के लिए कालेज से अलग इमारत में लाइब्रेरी बने। येल मेडिकल लाइब्रेरी को बनते हुए तो नहीं देख सके मगर दुनिया छोड़ने से पहले ख़बर मिल गई थी कि मेडिकल लाइब्रेरी बनेगी। हम उसी लाइब्रेरी के तहख़ाने में कई सीढ़ियों से उतरते हुए इस ब्रेन लाइब्रेरी में आए जो डॉ हार्वी कशिंग की याद में बनी है।




कशिंग ने 1891 में येल यूनिवर्सिटी से ही स्नातक की पढ़ाई की और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से चिकित्सा की पढ़ाई कीजान हापकिन्स हॉस्पीटल में काम किया जहाँ एक वक़्त में न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में कई अनुसंधान हुए। कशिंग हार्वर्ड में सर्जन इन चीफ़ भी बने। एक साल में सैकड़ों आपरेशन किया। रिटायर होने के बाद कशिंग येल यूनिवर्सिटी आ गए।




अली और वफ़ा के साथ इस लाइब्रेरी तक पहुँच कर लगा कि 1920-30 के साल में आ गया हूँ। यहाँ अचार के मर्तबान में तरह तरह के ब्रेन ट्यूमर से मरे लोगों का भेजा रखा है। मरने वाले का नाम और मरने का कारण भी लिखा है। किताब की तरह मर्तबान रखा है। अली ने ब्रेन के बारे में काफ़ी कुछ बताया। मुझसे लिखने में ग़लती न हो जाए इसलिए यहाँ नहीं लिख रहा हूँ। अली डॉक्टर नहीं हैं मगर उनका काम मेडिकल के लिए है। मैंने बताया कि वे मधुमेह के सपाट पाँव वाले मरीज़ों के लिए शोध कर रहे हैं





यहाँ मेडिकल के छात्र इंसान के ब्रेन का अध्ययन कर सकते है। देख सकते हैं। पढ़ सकते हैं। आज तो हर चीज़ का एक्स रे और फ़ोटो है मगर उस वक़्त मेडिकल इलस्ट्रेटर की पढ़ाई होती थी जो शरीर के अंगों का स्केच बनाते थे जिसका इस्तेमाल पढ़ाई में होता था। एक तस्वीर में आप अली को दराज़ खोलते देखेंगे। अली दिखा रहे हैं कि फीटस यानी भ्रूण जब थोड़ा विकसित हो जाता है तो कैसा दिखता है। पहली बार भ्रूण देखने का अवसर मिला। यहाँ पर न्यूटन के हाथ की लिखावट भी है मगर मुझे देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका। फ़िलहाल उसे हटा दिया गया था। अली मुझे वही दिखाने ले गए थे।



मेडिकल साइंस में येल यूनिवर्सिटी के कई योगदान हैं। मैंने ब्रेन लाइब्रेरी इसलिए दिखाई ताकि मेडिकल के छात्र इस तरह के सपने देखें। अगर अभी तक ऐसी सुविधा नहीं है तो ख़ुद बनाने की सोचें। कुछ बड़ा करें जिससे सौ साल बाद कोई उन्हें याद करे। यहाँ भी आइये और दवा कंपनियों की नौकरी छोड़ विज्ञान के क्षेत्र को समृद्ध करें।



एक छात्र ने बताया कि भारत में साइंस का अनुदान मिलने के पहले ही उपकरण बनाने वाली कंपनियों के दलाल वैज्ञैनिकों को फ़ोन करने लगते हैं कि आपको ग्रांट मिलेगा तो क्या वे फ़लाँ का उपकरण ख़रीदेंगे, ख़रीदेंगे तो कितना कमीशन लेंगे। तो अलग अलग चीज़ों को जानिये और दंगाई होने के लिए बेचैन हो रहे अपने नेताओं से मेडिकल शिक्षा के बेहतर संसाधन और माहौल की माँग करें।

Thursday, October 25, 2018

रौशनी प्रधानमंत्री से आ रही है, इसलिए पुलिस आईबी को पीट रही है ✍️ The Real Hero Ravish Kumar

रौशनी प्रधानमंत्री से आ रही है, इसलिए पुलिस आईबी को पीट रही है

रौशनी नहीं है, अंधेरा दिख रहा है”- प्रधानमंत्री मोदी

रौशनी आपसे आ रही है प्रधानमंत्री जी”- आनंद महिंद्रा

महान भारत की बर्बादी के दौर में उस ख़ूबसूरत मंच पर हुआ यह संवाद शेक्सपीयर के संवादों से भी क्लासिक है। अपने प्रोफेसर की बात पर क्लास रूम में एक छात्र खड़ा हो गया।
खेतों में पराली जल रही थी, क्लास रूम में सवाल उबल रहे थे। जबकि आग की आँच और क्लास रूम में पांच हज़ार मील का फ़ासला था।

छात्र- प्रधानमंत्री को अंधेरा दिख रहा है तो रौशनी उन्हीं से कैसे आ सकती है ?

प्रोफ़ेसर ने पहले यूजीसी का आदेश निकाला और कहा कि
हम सब एक बेहतर भविष्य की कल्पना में साथ साथ पढ़ेंगे।
सरकार की नियमावली ये और वो के तहत हम यहाँ पढ़ने आए हैं। देखने नहीं। हमारा काम सरकार की आलोचना नहीं है। जो भी आलोचना करे उससे हमारी दोस्ती नहीं है। हम आलोचना करने वाले संगठन के साये से दूर रहेंगे। जब भी आलोचना करने का जी करे, यूजीसी यूजीसी नाम जपेंगे। यह बात हम क्लास शुरू होने से पहले और ख़त्म होने के पहले रोज़ याद करेंगे।

छात्र ने सुनते ही कहा था कि सर क्या रौशनी का प्रधानमंत्री से आना भी आलोचना है?

प्रोफ़ेसर- अग़र कोई यह दावा कर दे  कि पीयूष गोयल के कोयला मंत्रालय के तहत निकलने वाले कोयले को पीयूष गोयल के बिजली मंत्रालय के पावर प्लांट में जलाने से रौशनी आती है तो यह आलोचना है।

छात्र- क्या आपने इशारे में यह कहा कि सीबीआई के आलोक वर्ना ने सीबीआई के राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ केस किया और अस्थाना और आलोक दोनों को पावर प्लांट से बाहर कर दिया गया?

प्रोफ़ेसर- यह यूजीसी के आदेश के अनुसार प्रधानमंत्री की आलोचना हो सकती है। इस पर पाबंदी है। ज़ोर से बोलो यूजीसी, यूजीसी। और ज़ोर से बोलो यूजीसी, यूजीसी।

छात्र- पर प्रधानमंत्री को अंधेरा क्यों दिख रहा है? रौशनी क्यों नहीं है?

प्रोफ़ेसर- यह बात साबित है कि रौशनी है और रौशनी प्रधानमंत्री से आती है। ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी। और ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी।

छात्र- प्रोफ़ेसर क्या आपको भी अंधेरा दिख रहा है?

प्रोफ़ेसर- मत कहो आकाश में कोहरा घना है। यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।

छात्र- तो क्या हमें सवालों की हत्या करनी होगी ? क्या
हम चुप रहें ? प्रधानमंत्री से रौशनी कैसे आ सकती है प्रोफ़ेसर ?

प्रोफ़ेसर- मैंने भारत के फुटपाथों पर महापुरुषों के हज़ारों कैलेंडर बिकते देखे हैं। देवी देवताओं के कैलेंडर में देखा है कि उनके मुखमंडल के पीछे एक आभामंडल है। वो आभामंडल ही रौशनी है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी से रौशनी आ सकती है। ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी। और ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी।

छात्र- लेकिन आई बी का अधिकारी आलोक वर्मा के घर जासूसी करते पकड़ा गया। उसे घसीट कर लाया गया और सड़क पर मारा गया है। इसकी रौशनी कहाँ से आ रही है?

प्रोफ़ेसर- हम पर यूजीसी की पाबंदी है। हम न पढ़ सकते हैं और न पढ़ा सकते हैं। हमारा काम है तुम्हें कालेज में लाकर पढ़ने के लायक नहीं बनने देना। यही सरकार का हुक्म है। मुल्क को बर्बाद करने के लिए नौजवानों का बर्बाद होना बेहद ज़रूरी है। नौजवानों को जब तक मिट्टी में नहीं मिला दिया जाएगा, मूर्ति नहीं बनेगी। रौशनी नहीं आएगी। तुम नौजवान इस मुल्क के लिए अभिशाप हो। हम तुम्हारे सवालों को कुचल कर, ज़बानों को काट कर मूर्ति के लिए वरदान में बदल देंगे।

कक्षा समाप्त होती है। एक वीडियो वायरल होता हुआ क्लास के स्मार्ट बोर्ड पर नाचने लगता है। दिल्ली पुलिस के लोग आई बी के लोगों को सड़क पर घसीट कर मार रहे हैं। आई बी के लोग मार खा रहे हैं। गुमनाम होकर अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। एक सूचना के लिए वे क्या क्या नहीं करते। वही सूचना जिसे आप तक नहीं पहुँचने देने के लिए सत्ता क्या क्या नहीं करती है। आई बी के नौजवान अपना काम कर रहे थे। उनका कॉलर किसके कहने पर पकड़ा गया? क्या यह सब उस भरोसा के टूट जाने का नतीजा था?

हर किसी को हर किसी पर शक है। घर-घर शक है। दफ़्तरों मे शक है। अधिकारियों में शक है। दिल्ली में रहते हैं तो बिना कॉलर वाली क़मीज़ पहनकर चलें। वर्ना किस अफ़सर का आदमी किस आदमी को अफ़सर समझ कर कॉलर पकड़ ले। महान भारत के बेख़बर बाशिंदों, सुनो इस बात को। दिल्ली में न गर्दन होगी और न गिरेबांन होगा। सिर्फ महान होगा। केवल महान होगा।

प्रोफ़ेसर भागता हुआ आता है। बंद करो। बंद करो। क्लास रूम में प्राइम टाइम नहीं चल सकता है। केबल नेटवर्क से ग़ायब कर दिया गया रवीश कुमार क्लास रूम में कैसे पहुँच गया! बंद करो प्राइम टाइम के इंट्रो को।

सर बस थोड़ी देर। आई बी के अफ़सरों को सड़क पर घसीट कर मारा गया है। सूत्रों के हवाले से आए उनके बयान को सुन लेने दें। आज हमारी एक यूनिट को जनपथ के पास कुछ लोगों के द्वारा रोका गया।

प्रोफ़ेसर-इसमें ख़बर क्या है? 

छात्र- भारत में ख़बर वही नहीं है जो ख़बर है। ख़बर वह है जो ख़बर में नहीं है।

आई बी का यह बयान पूरा नहीं है। ख़बरों में बताए गए दो से चार लोगों का इस तरह धरा जाना, मारा जाना उस राज्य के इक़बाल के ख़ाक में मिल जाना है जिसके लिए आप हमें मिट्टी में मिला रहे हैं। यह लड़ाई मैनेज हो गई। किसी ने थाने में केस नहीं किया। सड़कों पर लड़-मर कर सब अपने अपने घर गए। किसके इशारे पर हुआ यह बात बेमानी है। आई बी के लोगों पर हाथ उठ जाना, इक़बाल का कुचल जाना है। उनके लिए हमें दुख है। वे अच्छे हैं। वे बुरे भी हैं। मगर उनके काम का हिसाब इतना भी ख़राब नहीं कि इस तरह सड़क पर तमाशा बना दिए जाएँ। सत्ता की लड़ाई में फँसे मध्यम श्रेणी और उससे नीचे के इन अफ़सरों के स्वाभिमान को भी कुचल दिया गया। दिल्ली की सड़कों पर उन्हें पीट दिया गया। दिल्ली में रात और दिन दोनों महफ़ूज़ नहीं है। रात को कुर्सी चली जाती है। दिन में कोई सड़क पर पटक देता है।

प्रोफ़ेसर- सब चुप रहो। प्राइम टाइम बंद करो। ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी। और ज़ोर से बोलो यूजीसी यूजीसी। 

छात्र- सर, रौशनी न आपसे आ रही है न प्रधानमंत्री से। पर रौशनी कहीं तो होगी?

प्रोफ़ेसर- हाँ रौशनी टाउन हॉल के मंच पर है। उस हॉल में बैठे लोग अंधेरे में रहने की आदत डाल चुके हैं। इसलिए तुम लोग दिल्ली में अब मत रहो। टाउन हॉल में रहो। जो टाउन हॉल में नहीं रहेगा वह कब दिल्ली पुलिस, सीबीआई और आईबी के खेल में मारा जाएगा, पता नहीं। इसलिए दीवारों पर नारे लिख दो- टॉउन हॉल चलो। वहीं रौशनी बची है। वहीं से रौशनी आ रही है। अंधेरे का एक नया शहर बसा है। उसे आबाद करने के लिए बाक़ी शहरों का बर्बाद होना ज़रूरी है।

दूसरा छात्र- धन्यवाद। आपने यूजीसी के आदेशों का उल्लंघन कर दिया। हम आपके चेहरे पर कालीख पोतेंगे। हम टेस्ट कर रहे थे कि क्या आपके भीतर सवालों की कोई संभावना बची है? क्या आपने वाक़ई आलोचना बंद कर दी है? आप फ़ेल हो गए प्रोफ़ेसर।

प्रोफ़ेसर- अब पता चला तुम क्यों चुप थे? तुम हम पर नज़र रख रहे थे। उन छात्रों पर नज़र रख रहे थे जो पूछ रहे थे।
मगर तुमने मुझे पास भी किया है। मेरी बात को साबित किया है। मुझे पता है

छात्र - वो क्या प्रोफ़ेसर ?

प्रोफ़ेसर- “नौजवानों को जब तक मिट्टी में नहीं मिला दिया जाएगा, मूर्ति नहीं बनेगी। रौशनी नहीं आएगी। तुम नौजवान इस मुल्क के लिए अभिशाप हो। हम तुम्हारे सवालों को कुचल कर, ज़बानों को काट कर मूर्ति के लिए वरदान में बदल देंगे।”


# लटियन का लोटा-  रवीश कुमार की नाटक ऋंखला

अथ श्री CBI गाथा :- कौन करवा रहा आलोक वर्मा की जासूसी ??


नई दिल्ली: सीबीआई की अंदरूनी कलह के बाद हटाए गए निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर से आज दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया. इन दोनों संदिग्धों पर वर्मा के घर के आसपास जासूसी करने का आरोप है. इन दोनों संदिग्धों को आलोक वर्मा के पीएसओ ने पकड़ा, इसके बाद दिल्ली पुलिस को बुलाया गया. फिलहाल दोनों संदिग्धों से पूछताछ जारी है. जानकारी के मुताबिक चार लोग एक गाड़ी में आए थे, इनमें दो को पकड़ लिया गया.

कल ही छुट्टी पर भेजे गए वर्मा और अस्थाना

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में कल दिन भर हलचल मची रही. दोनों टॉप अफसरों के एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद सरकार एक्शन में आयी. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया. ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेंद्र रॉव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बनाया गया. छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
      

सरकार ने पूरे मामले पर क्या सफाई दी?

अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है. उसकी गरिमा बनी रहे यह जरूरी है. सीबीआई की संस्थागत गरिमा बनाए रखना और इस दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है. राफेल डील की जांच की वजह से आलोक वर्मा की छुट्टी किये जाने के विपक्षी दलों के आरोपों को जेटली ने बकवास बताया.


उन्होंने कहा, ''क्या दो अधिकारी जो जांच का सामना कर रहे हैं वो ही अपनी जांच करवाएं? विपक्ष के आरोप बकवास हैं.'' जेटली ने आगे कहा कि विपक्ष अगर किसी अधिकारी का समर्थन करता है तो उससे अधिकारी की छवि को भी नुकसान होगा. सीबीआई पर सवाल उठे तो इसका फायदा घोटालेबाजों को ही होगा.

CBI की अंदरूनी कलह का पूरा मामला है क्या?

सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए. डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया, फिलहाल वो रिमांड पर है.

सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उसमें स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना जो सीबीआई के नंबर दो अधिकारी हैं. इन पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि इस रिश्वत कांड के तार दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े हुए है.

सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने भी इस एफआईआऱ पर पलटवार किया और कहा कि उनके खिलाफ ये मुकदमा सोची समझी साजिश के तहत दर्ज किया गया है. अस्थाना के मुताबिक वो खुद निदेशक आलोक वर्मा के भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ केन्द्रीय सर्तकता आय़ुक्त को अगस्त माह में ही दे चुके है. यह भी आरोप लगाया गया कि दो करोड रुपये की रिश्वत उन्होने नहीं सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने ली है

Featured Post

Jan gan man ki baat: उत्तरप्रदेश के वाराणसी में माँ के पैरों के पास तड़प...

Jan gan man ki baat: उत्तरप्रदेश के वाराणसी में माँ के पैरों के पास तड़प... : जिगर का टुकड़ा तड़पता रहा मां बेटे को लेकर इस हॉस्पिटल से उस हॉस्...